Pakistan जैसे बदतर आर्थिक हालात से बचने के लिए श्रीलंका ने तीन विदेशी राजनयिक मिशनों पर जड़ा ताला

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चीनी मकड़जाल में फंसा श्रीलंका के आर्थिक हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। स्थिति यह आ गई है कि अब एक-एक कर विदेशी दूतावासों के बंद करना पड़ रहा है। श्रीलंका की राजपक्षे सरकार नहीं चाहती कि जिस तरह से पाकिस्तान की इमरान सरकार को दुनिया के सामने शर्मसार न होना पड़े। ध्यान रहे सर्बिया में पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारिक ट्विटर हेंडल से एक ऐसी पोस्ट शेयर की गई थी जिसमें कहा गया था कि तीन-तीन महीने से सेलरी न आने के कारण स्कूल से बच्चों के नाम काट दिए गए हैं। राजदूत के पास ऑफिस और घर का खर्च चलाने के पैसे नहीं बचे हैं। कमोवेश श्रीलंका भी उसी स्थिति में पहुंच गया है। इसलिए खर्चों को रोकने और शर्मसारी से बचने के लिए राजपक्षे सरकार ने तीन उच्चायोगों को बंद करने का ऐलान कर दिया है।</p>
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श्रीलंका की गोट्टाबाया राजपक्षे सरकार की ओर से दी गई सूचना के मुताबिक जर्मनी, नाइजीरिया और साइप्रस में वाणिज्य दूतावास जनवरी 2022 से बंद रहेंगे। मंत्रालय ने बताया है कि देश के बेहद जरूरी विदेशी भंडार के संरक्षण और विदेशों में श्रीलंका के मिशनों के रखरखाव से संबंधित खर्च को कम करने के मकसद से ऐसा फैसला लिया गया है।</p>
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इसके साथ ही श्रीलंका के सेंट्रल बैंक ने डॉलर को बाहर भेजने पर रोक लगा दी है। मतलब यह है कि कोई व्यवसाई या श्रीलंकाई नागरिक किसी भी विदेशी फर्म या व्यक्ति को अमेरिकी डॉलर में भुगतान नहीं करेगा। इसके अलावा श्रीलंका में जितने भी कॉमर्शियल बैंक हैं वो डॉलर्स का 10 फीसदी राजकोष में जमा करवाएंगे।</p>
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श्रींलका चीनी कर्ज के मकड़जाल में ऐसा फंसा है कि उसकी सारी कमाई कर्जों की किश्त चुकान में ही निकल जाती है। व्यापार करने तक के डॉलर बैंकों के पास शेष नहीं रहते। इसके अलावा कोरोना बीमारी के कारण श्रीलंका का पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। डॉलर्स का भण्डार बढ़ाने के लि श्रीलंका सरकार ने जरूरी सामानों के आयात पर रोक लगाई थी इससे देश में पेट्रोलियम पदार्थों और चीनी जैसी जरूरी जिंसों की भारी कमी हो गई थी।</p>
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पड़ोसी और मित्र देश होने के नाते भारत ने श्रीलंका की मदद करने की कोशिश की है। दोनों देश मिल कर मौजूदा आर्थिक हालातों से श्रीलंका को बाहर लाने के प्रयास में लगे हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा मानक एजेंसी फिच ने श्रीलंका का स्तर काफी घटा दिया है, जिससे विदेशी संस्थाओं से कर्ज मिलने में भी परेशानी हो रही है। हालांकि भारत ने कुछ ऐसे प्रयास किए हैं जिनसे श्रीलंका को फौरी तौर पर राहत मिल जाएगी।</p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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