कूटनीति यानि डिप्लोमेसी में भाषा का अपना महत्व है। भाषा सारी समस्याओं का समाधान तो नहीं कर सकती लेकिन माहौल को दोस्ताना बनाए रखने में मदद जरूर कर सकती है। पिछले सप्ताह भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला की नेपाल यात्रा, नेपाली मीडिया में सुर्खियों में थी। शृंगला का नेपाली मीडिया से नेपाली भाषा में मुखातिब होना नेपाल के लोगों के लिए एक सुखद आश्चर्य था। "राजदूत अगर वहां की भाषा में बात करता है, तो इसका मतलब है कि उस देश के बारे में अच्छी तरह जानता है। इसका प्रभाव दोनो देशों के संबधों पर पड़ता है।"
नेपाली पत्रकार महेन्द्र राणा के मुताबिक पिछला एक महीना भारत और नेपाल के रिश्तों के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा है। शृंगला ने नेपाली भाषा में जोर देकर कहा, "भारत नेपाल का मित्र है और यह दोस्ती हर मुश्किल समय पर खरी उतरी है। कोरोना वैक्सीन आते ही नेपाल को वरीयता के आधार पर उपलब्ध कराई जाएगी।" यह बात नेपाल और भारत के बीच बढ़ती दूरी को खत्म करने के लिए काफी मददगार साबित हो रही है।
नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली इसी महीने भारत के दौरे पर आ रहे हैं। नेपाल के टूरिज्म मिनिस्ट्री ने भारत के साथ विमान सेवा फिर से बहाल करने की पेशकश की है। करोना महामारी के कारण महीनों से ठप पड़े नेपाल के टूरिज्म उद्योग को भी पटरी पर लाने के लिए नेपाल को भारत से मदद की जरूरत है। नेपाल की आमदनी का एक बड़ा जरिया टूरिज्म है। इस बीच भारत ने नेपाल को भरोसा दिलाया है कि बहु-उद्देशीय पंचेश्वर परियोजना जल्द ही शुरू हो सकती है। जानकारों के मुताबिक, पिछले महीने 26 नवबंर को <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/foreign-secretary-harsh-vardhan-shringla-kathmandu-turning-point-bilateral-relations-19367.html">काठमांडू में भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला</a> और नेपाली प्रधानमंत्री ओली के बीच लगभग एक घंटे की बातचीत से कई "गलतफहमियां" दूर करने में काफी मदद मिल सकती है।
<h2>बेटी-रोटी के रिश्ते में क्यों आई तल्खी</h2>
भारत और नेपाल के संबधों के बारे में कहा भी जाता है कि यह बेटी- रोटी का रिश्ता है। लेकिन मई से दोनों देशों के बीच तल्खी आ गई थी। चीन के साथ भारत के बढ़ते तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मई में उत्तराखंड में लिपुलेख पास को धारचुला से जोड़ने वाली सामरिक दृष्टि से अहम 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्धाटन किया था। जिसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आ गया था। नेपाल ने इस पर आपत्ति जताते हुए दावा किया था कि यह उसके क्षेत्र से गुजरता है। इसके कुछ दिन बाद नेपाल एक नया नक्शा लेकर आया। जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपना क्षेत्र बताया। इस पर भारत ने आपत्ति जताई।
जानकारों के मुताबिक जब भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने खड़ी हों, नेपाल का यह कदम ठीक उसी वक्त उठाना  साफ कर देता है कि चीन के कहने पर ही नेपाल यह सब कुछ कर रहा है। नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार पूरी तरह से चीन के प्रभाव में है और उसके वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट का हिस्सा भी है। भारत के विदेश सचिव के दौरे के एकदम अगले ही दिन चीन के रक्षामंत्री जनरल वेई फेंगी नेपाल पहुंचे। नेपाली मीडिया के मुताबिक जनरल वेई फेंगी के इस दौरे के पीछे का सबसे कारण नेपाल के प्रधानमंत्री पर दबाव बनाने और कम्युनिष्ट पार्टी के विभाजन को रोकने का एजेंडा है।
कहा जाता है कि नेपाल में चीन की राजदूत का नेपाल की सत्तारूढ़ पार्टी के अदंर भी काफी दखल है। पिछले दिनों ओली और प्रचंड के बीच मतभेद को दूर करने की कोशिश नेपाल में चीनी राजदूत हाओ यांकी कर रही हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वो चीन की संस्था United Front Work Department of the Central Committee of the Chinese Communist Party (UFWD) से जुड़ी हैं। यह संस्था नेपाल में काफी सक्रिय है। काठमांडू स्थित चीनी दूतावास और राजदूत की पैठ नेपाल की सरकार और उसकी अंदरूनी राजनीति तक है।
<h2>नेपाल को भारत के खिलाफ उकसा रहा चीन</h2>
य़ूएफडब्ल्यूडी (UFWD) चीन की सबसे तेज तर्रार संस्था है। जो विदेशों में चीन की खिलाफत करने वालों पर नजर रखती है। साथ ही सरकार और प्रभावशाली लोगों के बीच चीन के लिए समर्थन जुटाने का काम करती है। यही नहीं UFWD नेपाल को भारत के खिलाफ उकसाने का काम भी कर रही है। विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस के सांसद जीवन शाही का कहना है कि मौजूदा सरकार चीन के सामने पूरी तरह सरेंडर कर चुकी है। लेकिन नेपाल के लोग भारत के साथ अच्छे संबध बरकरार रखना चाहते हैं। ज्यादातर लोग चाहते हैं कि नेपाल और भारत अपने विवादों को शांतिपूर्वक बातचीत से हल करें। जिससे दोनों देशों की जनता को कोई तकलीफ न हो।
शायद यही वजह थी कि भारत-नेपाल संबंधों में तनाव को कम करने की दिशा में नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पहल करते हुए भारत के स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बधाई कॉल करके बातचीत की पहल की। इसके बाद पहले रॉ के चीफ, उसके बाद <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/xi-jinping-fear-of-narvanes-myanmar-visit-13964.html">भारत के सेनाध्यक्ष</a> और फिर विदेश सचिव ने नेपाल का दौरा किया और प्रधानमंत्री ओली के साथ लंबी बातचीत की। विदेश सचिव शृंगला और ओली की मुलाकात के दौरान नेपाल में चल रहे विकास संबंधी प्रोजेक्ट्स को गति देने एवं समय-सीमा के अंदर पूरा कर लेने पर भी सहमति बनी। अब नेपाल और भारत के विदेश मंत्रियों के बीच इसी महीने नई दिल्ली में मुलाकात होनी है। दोनों देशों के बीच ज्वाईंट कमीशन की छठवीं बैठक हो रही है। जिसमें सीमा विवाद से लेकर हर आपसी मसले पर दो-टूक बातचीत होगी।.
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