अंतर्राष्ट्रीय

“पाकिस्तान में संसाधन राष्ट्रवाद ने सिंधुदेश आंदोलन को हवा दे दी है”

Sindhudesh Movement:पाकिस्तान में विभिन्न जातीय अल्पसंख्यक लगातार आंदोलन करते रहते हैं। इस्लामाबाद की सरकार देश की सीमाओं पर होने वाली उथल-पुथल से दूर रहती है, जहां स्थानीय और राष्ट्रीय नीतियां और हुक्म पश्तून, बलूच और सिंधी जैसे स्थानीय समुदायों के ख़िलाफ़ हैं।

पाकिस्तान के दक्षिण-पूर्व में स्थित सिंध प्रांत की सीमायें भारतीय राज्यों राजस्थान और गुजरात को छूती हैं, करुन्झार के प्राचीन पहाड़ों में खनन गतिविधि को खोलने की पाकिस्तान की योजना फिर से ख़बरों में है। कच्छ के रण का हिस्सा, पहाड़ सिंधियों के लिए पवित्र हैं, इसके अलावा वे इस क्षेत्र में भूजल पुनर्भरण और वन्य जीवन को बनाये रखने में सक्षम हैं।

इस साल जुलाई में ग्रेनाइट खनन के लिए पट्टे की नीलामी की घोषणा करने वाले एक विज्ञापन ने सिंधी लोगों को परेशान कर दिया था। बाद में सार्वजनिक हंगामे के कारण खनन विभाग को नीलामी रद्द करनी पड़ी थी, लेकिन कुछ हफ़्तों के बाद ग्रेनाइट खनन के लिए करुंझर पहाड़ों की नीलामी की योजना फिर से शुरू कर दी गयी है।

इंडिया नैरेटिव ने सिंध में राष्ट्रवादी आंदोलन की स्थिति के साथ-साथ अपने प्रांत में पाकिस्तान की लूट के बारे में जय सिंध फ्रीडम मूवमेंट (JSFM) के केंद्रीय अध्यक्ष सोहेल अब्रो से बात की। एब्रो का कहना है कि उनके 30 साल के राजनीतिक करियर में उन्हें ख़ुफ़िया एजेंसियों द्वारा अपहरण किया जाता रहा है और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा कुख्यात यातना कक्षों में प्रताड़ित किया जाता रहा है।

एब्रो कहते हैं कि पाकिस्तान ने जबरन अपहरण और क्रूर हत्याओं के माध्यम से राष्ट्रवादी सिंधी राजनेताओं पर कार्रवाई की है। उनका कहना है कि पाकिस्तान की गिरती अर्थव्यवस्था के साथ इस्लामाबाद करुंझर पहाड़ों सहित सिंधी प्राकृतिक संपत्तियों को बेच रहा है।

 

प्रस्तुत है सिंध राष्ट्रवादी सोहेल अब्रो के साथ बातचीत का अंश:

इंडिया नैरेटिव: पाकिस्तान में आर्थिक मंदी और राजनीतिक अस्थिरता के कारण सिंध में विशेषकर जनता की वर्तमान स्थिति क्या है ?

सोहेल अब्रो: पाकिस्तान की स्थिति दुनिया से छुपी नहीं है। लोग कठिन जीवन जी रहे हैं। जो हमें 50-100 रुपये में मिलता था, वह अब 600 रुपये के आसपास है। लोग अपना पेट भरने और अपने बच्चों का भरण-पोषण करने के लिए अपने बच्चों को बेचने तक के लिए तैयार हैं।

सिंध में बाढ़ से हालात खराब हैं। लोगों के घर और ज़मीनें अभी भी जलमग्न हैं। वे सड़कों के किनारे रह रहे हैं, क्योंकि नेताओं ने पानी नहीं निकलने दिया। पानी से संबंधित कुछ घटनायें जानबूझकर लोगों को दयनीय रोशनी में दिखाने के लिए की गयी, ताकि दुनिया के सामने दुख दिखाया जा सके और सहायता एकत्र की जा सके। हम अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से अपील करते रहे हैं कि वे पाकिस्तान को तब तक सहायता न दें, जब तक कि दानकर्ता सिंध का दौरा न कर लें और स्थिति को स्वयं न देख लें। वहां पहुंचकर वे ज़रूरतमंदों को सीधे सहायता दे सकते हैं।

 

इंजडिया नैरेटिव: पाकिस्तानी सरकार और सेना एयरलाइंस, बंदरगाहों और इमारतों सहित अन्य देशों को संपत्ति बेच रही हैं। क्या सिंध में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है,यानी कि संपत्तियों और ज़मीनों की बिक्री ?

सोहेल अब्रो: पाकिस्तानी सेना ने सिंध के प्राकृतिक संसाधनों और भूमि पर कब्ज़ा कर लिया है। यहां तक कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) भी सिंध में ज़मीनों की बिक्री में शामिल है।

सिंध बड़ी मात्रा में राजस्व उत्पन्न करता है, लेकिन यह सब संघीय सरकार द्वारा छीन लिया जाता है। हमारे पास दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कोयला खदान है, लेकिन उत्पादित बिजली हमारे साथ साझा नहीं की जाती है। यदि सिंध से प्राप्त राजस्व का केवल दस प्रतिशत लोगों पर ख़र्च किया जाए, तो जनता के लिए चीज़ें बहुत बेहतर होंगी।

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत हमारी ज़मीनें चीन को दी जा रही हैं, जिसका स्थानीय स्तर पर व्यापक विरोध हुआ है। इसी तरह, सेना पूरे प्रांत में बदीन, थट्टा, सुक्कुर, गोलारची और पानो अकील जैसी जगहों पर सैन्य शिविर बना रही है और इन शिविरों में हज़ारों सैनिकों का पता लगा रही है।

इंडिया नैरेटिव: सिंध से खबर है कि पाकिस्तान द्वारा काफ़ी लोगों को गिरफ़्तार किया जा रहा है। ऐसा क्यों हो रहा है ?

सोहेल अब्रो: पाकिस्तानी स्वतंत्रता दिवस से पहले टांडो मुहम्मद ख़ान में पाकिस्तान की आईएसआई और सैन्य ख़ुफ़िया द्वारा अपहरण की एक श्रृंखला हुई थी। इसमें एक बार फिर रमेश कुमार को उठाना शामिल है,जो कि हमारे राजनीतिक कार्यकर्ताओं में से एक, जिसका पहले दो बार अपहरण किया जा चुका है।

पाकिस्तानी एजेंसियां सिंध में लोगों की धरपकड़ शुरू कर देती हैं, ताकि मानवाधिकारों के उल्लंघन को समाप्त करने की मांग करने वाले लोगों द्वारा पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के आसपास मनाये जाने वाले समारोह में खलल न पड़े। साथ ही हमारे जैसे कई राजनीतिक दल आज़ादी के लिए रैलियां निकालते हैं।

साथ ही जमशोरो शहर से सज्जाद चाना और जाहिद चाना के अपहरण की भी कोशिश की गयी। उन पर गोलियां चलायी गयीं और उनकी मोटरसाइकिल को वाहनों ने टक्कर मार दी, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आयीं और हड्डियां टूट गयीं।

 

इंडिया नैरेटिव: क्या आप हमें सिंध में सशस्त्र समूहों के बारे में बता सकते हैं ?

सोहेल अब्रो: सिंध में बलूचिस्तान जैसा कोई विद्रोह नहीं है, जो पहाड़ों और पहाड़ियों में लड़ा जा रहा हो। हमारा एक शहरी राजनीतिक आंदोलन है। हम सिंधियों के जातीय नरसंहार के ख़िलाफ़ सड़कों पर आने और रैलियां आयोजित करने और विरोध करने के लिए लोगों को एकजुट कर रहे हैं।

हम बिल्कुल बांग्लादेश आंदोलन जैसा आंदोलन खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं, न कि सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह जैसा सैन्य अभियान।

Rahul Kumar

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