संकट से उबर रहा है Sri Lanka रानिल विक्रम सिंघे ने कार्यवाहक राष्ट्रपति का पद संभाला, तेल और खाद्य आपूर्ति का अभाव

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चीन के जाल में फंसे श्रीलंका में इस वक्त भारी आर्थिक तबाही देखने को मिल रही है। जनता एक बार फिर से दैनिक जरूरतों को लेकर सड़कों पर जोरदार प्रदर्शन कर रही है। यहां तक कि राष्ट्रपति भवन तक पर प्रदर्शनकारियों ने कब्जा कर लिया है जिसके चलते अपने महल को छोड़कर गोटाबाया राजपक्षे पर भागना पड़ा। श्रीलंका में जो इनती बड़ी तबाही मची हुई है इसके पीछ सिर्फ और सिर्फ चीन का हाथ है। चीन से ऋण लेने के बाद से लगातार श्रीलंका कर्ज के दबाव में डूबता गया। ये वही चीन है जो मुल्क में आर्थिक तूफान आते ही श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर कब्जा कर लिया। श्रीलंका में प्रदर्शन इतना ज्यादा बढ़ गया है कि, राष्ट्रपति के साथ ही प्रधानमंत्री को भी इस्तीफा देना पड़ा। राष्ट्रपति होतबाता राजपक्षे ने गुरुवार को अपना इस्तीफा दे दिया था। इशके बाद कोलोंबों की सड़कों पर जश्न का माहौल दिख रहा है। प्रदर्शनकारी गोतबाया के इस्तीफे को अपनी जीत के रूप में देख रहे हैं। गुरुवार देर रात कई लोग कोलंबों की सड़कों पर निकले और जश्न मनाया। इस दौरान पटाखे फोड़े गए थे मस्ती में झूमते हुए भी लोग दिखाई दिए। दूसरी ओर, प्रदर्शनकारी अब कब्जाई गईं अहम सरकारी इमारतों से भी हटने लगे हैं। वहीं, अब श्रीलंका की बिखरी हुई सत्ता की कमान प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के हाथों में है।</p>
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श्रीलंका के संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने ने बताया, गोतबाया राजपक्षे का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है। कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है। उन्होंने बताया, नया राष्ट्रपति चुने जाने तक प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में काम करेंगे। नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए सांसदों को कल बुलाया गया है। श्रीलंका में आर्थिक और राजनीतिक संकट के बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे बृहस्पतिवार को सिंगापुर पहुंच गए। इससे पहले वह अपने देश से फरार होकर मालदीव पहुंच गए थे।</p>
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सिंगापुर की सरकार ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि, राजपक्षे यहां निजी यात्रा पर हैं, उन्हें कोई शरण नहीं दी गई है। सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि, इस बात की पुष्टि हो गई है कि, राजपक्षे को सिंगापुर में निजी यात्रा के तौर पर प्रवेश की अनुमति मिली है। उन्होंने शरण की कोई मांग नहीं की और न ही उन्हें शरण दी गई है। सिंगापुर आमतौर पर शरण के अनुरोध को मंजूरी नहीं देता है। बृहस्पतिवार शाम 7 बजे राजपक्षे सऊदी एयरलाइंस के विमान एसवी-788 से पहुंचे।</p>
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आईएन ब्यूरो

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