इस देश का झलका दर्द, कहा- दुनिया ने हमे मरने के लिए छोड़ दिया, सिर्फ अकेला भारत कर रहा हमारी मदद

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चीन जिस देश के पीछे पड़ा है उसे बरबाद करके ही छोड़ा है। श्रीलंका इसका जीता-जागता उदाहरण है। ड्रैगन इन दिनों छोटे देशों को अपने कर्ज जाल में फंसा रहा है। उन्हें भारी भरकर कर्ज देकर पहले तो फंसा रहा है और जब वो कर्ज नहीं दे पा रहे तो ड्रैगन उनके सैन्य अड्डों, बंदरगाहों, एयरपोर्टों के अलावा कई जरूरी स्थानों पर कब्जा कर अपनी आर्मी को तैनात कर रहा है। श्रीलंका को भी ड्रैगन ने इतना कर्ज दिया कि और उसकी अर्थव्यवस्था डूब गई है। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। श्रीलंका की अगर कोई सबसे ज्यादा मदद कर रहा है तो वो है भारत। श्रीलंका ने एक बयान देते हुए कहा है कि, आज जब वो इस हाल में है तो किसी ने उसकी मदद नहीं कि, सबने किनारा कर लिया। सिर्फ इंडिया ने उसकी मदद की।</p>
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श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि भारत को छोड़कर कोई भी देश संकटग्रस्त देश को ईंधन के लिए पैसे उपलब्ध नहीं करा रहा है। संसद में अपने संबोधन में, विक्रमसिंघे ने कहा कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा से जल्द से जल्द कोलंबो में एक टीम भेजने का आग्रह किया है, ताकि एक कर्मचारी-स्तर के समझौते को अंतिम रूप दिया जा सके। अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा द्वीप राष्ट्र श्रीलंका अगले 6 महीने सर्वाइव करने के लिए आईएमएफ से 6 बिलियन डॉलर मांग रहा है। राज्य द्वारा संचालित सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (सीईबी) के इंजीनियरों द्वारा नियोजित हड़ताल के संदर्भ में बोलते हुए, विक्रमसिंघे ने कहा, कृपया ब्लैकआउट का कारण न बनें, आप चाहे तो तख्तियां लेकर हड़ताल कर सकते हैं। उन्होंने इंजीनियरों से भावुक अपील करते हुए कहा, अगर आप ऐसा करते हैं, तो मुझसे भारत से मदद मांगने के लिए मत कहिए। कोई भी देश हमें ईंधन और कोयले के लिए पैसा नहीं दे रहा है। भारत ही दे रहा है। हमारी भारतीय क्रेडिट लाइन अब अपने अंत के करीब है। हम इसे बढ़ाने की बात कर रहे हैं।</p>
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एक रिपोर्ट की माने तो, प्रधानमंत्री ने कहा कि, भारत लगातार श्रीलंका को सहायता प्रदान नहीं कर सकता। भारत में कुछ लोग पूछ रहे हैं कि वे हमें मदद क्यों दें। वे हमारी मदद करने से पहले हमसे कह रहे हैं कि हम पहले अपनी खुद की मदद करें। भारत लगातार श्रीलंका को भोजन, दवा और ईंधन के लिए ऋण और खरीदारों के ऋण के रूप में $3.5 बिलियन की आर्थिक सहायता प्रदान की है। यहां तक कि चीन ने भी माना है कि, सिर्फ भारत अकेला श्रीलंका के साथ खड़ा है। हालांकि, चीन ने यह भी कहा है कि, वह अब भारत से साथ मिलकर श्रीलंका की मदद करना चहता है।</p>
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आईएन ब्यूरो

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