चीन ताइवान (Taiwan) की बीच स्तिथि ख़राब होती जा रही है। दोनों के बीच ताइवान (Taiwan) की राष्ट्रपति के अमेरिका के दौरे के बाद से तनाव बढ़ गया है। ड्रैगन की धमकियों के बावजूद ताइवान (Taiwan) ने अमेरिका से अपना रिश्ता अच्छा किया जिसके बाद से ड्रैगन तिलमिला गया है। अब तो हालात ऐसे हैं कि कभी भी युद्ध छिड़ सकता है। चीन जहां लगातार ताइवान और उसके मसले पर अमेरिका को अपनी आक्रामकता दिखा रहा है, वहीं लगातार ताइवान में घुसपैठ की भी कोशिश कर रहा है। इस बीच खबर है कि चीन से बढ़ते खतरे के मद्देनजर ताइवान 400 से अधिक अमेरिकी एंटी शिप हार्पून मिसाइलें खरीदेगा। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट में यूएस-ताइवान बिजनेस काउंसिल के अध्यक्ष रूपर्ट हैमंड-चैम्बर्स का हवाला देते हुए कहा गया है कि इसके लिए बोइंग के साथ एक अनुबंध किया गया है।
इस अनुबंध के तहत अमेरिकी नौसेना वायु प्रणाली कमान पहली बार ताइवान को अमेरिकी एंटी शिप हार्पून मिसाइलें देगा। हलांकि इससे पहले देश ने इसका शिप-लॉन्च संस्करण खरीदा था। हाल के दिनों में चीन द्वारा ताइवान की सीमा में घुसपैठ की खबरें लगातार आ रही हैं। वहीं बीते साल अगस्त में जब अमेरिका की प्रतिनिधि सभा की तत्कालीन सभापति नैंसी पेलोसी ताइवान आई थीं तब भी चीन ने ताइवान के चारों ओर लाइव फायर मिसाइल लॉन्च कर दी थी।
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वहीं चीनी कम्युनिस्ट पार्टी पर हाउस सेलेक्ट कमेटी के रिपब्लिकन चेयरमैन माइक गैलाघेर ने कहा कि वह सऊदी अरब जाने से पहले ताइवान के हार्पून एंटी-शिप मिसाइल प्राप्त करने के तरीकों की तलाश करना चाहते हैं। बता दें कि साल 2020 में ताइवान ने कहा था कि उसने अपने सैन्य आधुनिकीकरण के प्रयासों के तहत भूमि-आधारित बोइंग-निर्मित हार्पून एंटी-शिप मिसाइल खरीदने की योजना बनाई है।
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