India Investment In Afghanistan: अफगानिस्तान में अब तालिबान सत्ता में है। अफगान में तालिबान की वापसी में पाकिस्तान की अहम भूमिका रही है। ऐसे में जाहिर है कि पाकिस्तान को तालिबान से काफी उम्मीदें थी। लेकिन, हुआ सब उलटा एक समय जिगरी दोस्त रहे तालिबान और पाकिस्तान इस वक्त एक दूसरे के खून के प्यासे बने हुए हैं। लेकिन, भारत को सबसे ज्यादा डर था कि, कहीं अफगान की धरती का पाकिस्तान आतंक फैलाने के लिए न करें। लेकिन, फिलहाल पाकिस्तान और अफानिस्तान के बीच मतभेद जारी है। इस बीच तालिबान ने भारत (India Investment In Afghanistan) से मदद की गुहार लगाई है और कहा है कि, अफागानिस्तान में रुके हुए प्रोजेक्ट फिर से शुरू करे। साथ ही तालिबान ने इंडिया (India Investment In Afghanistan) को सुरक्षा की भी पूरी गारंटी देने की बात कही है।
भारत से तालिबान ने रुके हुए परियोजनाओं को फिर से शुरू करने और मदद की लगाई गुहार
दरअसल, भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता उसके निवेश और परियोजनाओं को फिर से शुरू करना है। इसे लेकर पिछले सप्ताह तालिबान ने एक मीटिंग की और निवेश मांगा है। इस मीटिंग में तालिबान ने भारतीय निवेश और भारत के समर्थन वाले बुनियादी ढांचा परियोजना को फिर से शुरू करने की मांग की है। बैठक तालिबान के शहरी विकास और आवास मंत्री हमदुल्ला नोमानी और देश में भारत की टेक्निकल टीम के प्रमुख भरत कुमार के बीच हुई। एक रिपोर्ट के मुताबकि, तालिबान के सुहैल शाहीन ने कहा, यह बैठक भारत की पहले शुरू की गई अधूरी परियोजनाओं को फिर से शुरु करने के मुद्दे पर केंद्रित थी। इसके साथ ही भारतीय निवेश से नया काबुल शहर बनाने पर भी बात हुई। बैठक में भारतीय निवेश की सुरक्षा का आश्वासन दिया गया है। तालिबान के सत्ता में आने से पहले भारत काबुल में संसद भवन से लेकर हेरात में भारत-अफगानिस्तान मैत्री बांध तक देश की प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को बनाता रहा है।
भारत की अफगानिस्तान में 433 परियोजनाएं हैं
बता दें कि, अफगानिस्तान के 34 राज्यों में भारत की लगभग 433 परियोजनाएं हैं जो वित्तीय मदद से बनाई गई हैं और ये लोगों के इस्तेमाल में आती हैं। पिछले साल अगस्त में तालिबान ने सत्ता में आने के बाद ये परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं। हालांकि, अब फिर से इसे शुरू करने की दिशा में काम तेजी से हो रहा है। विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि, भारत का अफगान लोगों के साथ ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंध हैं। मानवीय सहायता के प्रभावी वितरण के लिए और अफगान लोगों के साथ हमारा जुड़ाव जारी रखने के लिए और हितधारकों के प्रयासों की बारीकी से निगरानी के लिए एक टेक्निकल टीम काबुल पहुंच गई है। इस टेक्निकल टीम में राजनयिक और अन्य अधिकारी शामिल हैं।
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