अफगानिस्तान में जब तालिबान का शासन लौटा है। वहां सबकुछ चरमरा सा गया है। फिर चाहे अर्थव्यवस्था की बात हो या फिर शिक्षा व्यवस्था की…. मानो सभी तहस-नहस हो गए हो। तालिबान ने बेशक अफगानिस्तान को चलाने का जिम्मा उठा लिया हो, लेकिन देश को चलाने के लिए उनके पास फूटी कौड़ी तक नहीं है। आलम ये है कि पैसों-पैसों के लिए मोहताज तालिबान धीरे-धीरे सबकुछ बंद कर रहा है। इस कड़ी में तालिबान ने यहां के यूनिवर्सिटी को ताले लगा दिए है। वजह यूनिवर्सिटी को चलाने के लिए बजट न होना…
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अफगानिस्तान के छात्र यूनिवर्सिटीज को फिर से खोलने के इंतजार कर रहे है। इस बीच तालिबान ने कहा है कि देश के सामने आर्थिक संकट और को-एजुकेशन के मुद्दे को लेकर अफगानिस्तान में यूनिवर्सिटी अभी तक नहीं खुले हैं। वहां की मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तालिबान के उच्च शिक्षा मंत्री अब्दुल बकी हक्कानी ने कहा कि लड़कियों के लिए अलग कक्षाएं बनाने और अतिरिक्त व्याख्याताओं को नियुक्त करने के लिए उन्हें अधिक समय और अतिरिक्त बजट की आवश्यकता है। अफगानिस्तान में लड़कियों के लिए सार्वजनिक विश्वविद्यालय और हाई स्कूल अभी फिर से खोले जाने बाकी हैं, जिन पर इस साल 15अगस्त को तालिबान ने फिर से कब्जा कर लिया था।
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देश पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने को-एजुकेशन पर प्रतिबंध लगा दिया है। तालिबान ने यह भी आदेश दिया कि लड़कियों को अलग से अब विश्वविद्यालयों में लड़कों के समान कक्षाओं में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। तालिबान ने कहा कि अगर महिलाओं को लंबी दूरी की यात्रा करनी है तो उन्हें एक करीबी पुरुष रिश्तेदार के साथ जाना होगा। मंत्रालय ने अपने मार्गदर्शन में वाहन मालिकों से भी कहा कि वे हेडस्कार्फ न पहनने वाली महिलाओं को बैठाने से मना करें। बाद में इस निर्णय को लेकर मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने निंदा की है।