महज 100 दिन की कवायद में ही ढह गई इमरान खान की सरकार, देखें विपक्ष का ‘शतक पावर’

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पाकिस्तानी संसद में इमरान खान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव शनिवार देर रात मतदान के बाद पास हो गया। इमरान के विपक्ष में 174 वोट पड़े। इसी के साथ तय हो गया कि इमरान खान पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री हैं, जो अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाए गए। बताया गया है कि पीएम इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को पहले से ही पता था कि संसद में उनके पास बहुमत नहीं है। इसलिए इमरान ने नेशनल असेंबली के स्पीकर असद कैसर के इस्तीफा देते ही प्रधानमंत्री कार्यालय छोड़ दिया और अपने आधिकारिक आवास से निकल गए थे।</p>
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पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग (पीएमएल-एन) सुप्रीमो नवाज शरीफ को तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की मुहिम 28 नवंबर, 2021 को शुरू किया। पीपीपी नेता खुर्शीद शाह ने संसद में आंतरिक बदलाव का संकेत देते हुए कहा था कि विपक्ष के पास पीएम इमरान खान को बाहर करने के लिए पर्याप्त संख्या होगी।</p>
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24 दिसंबर को पीएमएल-एन नेता अयाज सादिक ने भी संकेत दिया था कि विपक्ष खेमा बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है।</p>
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11 जनवरी 2022 को पीएमएल-एन के दिग्गज नेता ख्वाजा आसिफ ने कहा था कि इमरान सरकार बहुमत खो चुकी है, लिहाजा आंतरिक परिवर्तन किया जाएगा।</p>
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18 जनवरी को पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि  सीनेट अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सरकार लाने से कुछ फायदा नहीं होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विपक्ष का इरादा पीएम इमरान खान को घर भेजना है।</p>
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21 जनवरी को अयाज सादिक ने कहा कि विपक्ष पीएम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए तैयार है, समय बाद में तय किया जाएगा।</p>
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7 फरवरी को पीएमएल-एन और पीपीपी ने आधिकारिक तौर पर प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की।</p>
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8 फरवरी को  शाहबाज ने एमक्यूएम-पी को इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का संकल्प पेश किया।</p>
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11 फरवरी को एमक्यूएम-पी नेता आमिर खान ने पार्टी की समन्वय समिति के के सामने इस अनुरोध को प्रस्तुत करने की घोषणा की। विपक्ष की ओर से पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने पीएम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा की। इस बीच, पीटीआई सरकार ने खतरे को गंभीरता से नहीं लिया और विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की चुनौती दी।</p>
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8 मार्च को विपक्ष ने आखिरकार इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। अगले दिन पीएम इमरान खान ने कहा कि पीपीपी के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी उनका अगला निशाना बनने वाले थे। लिहाजा, वह चाहते थे कि विपक्ष उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए।</p>
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12 मार्च को नवाज शरीफ और असंतुष्ट पीटीआई नेता अलीम खान ने लंदन में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की।</p>
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21 मार्च को  पाकिस्तान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 63 (ए) की व्याख्या के लिए एक याचिका दायर की गई।</p>
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27 मार्च को इमरान खान ने दावा किया कि विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव उन्हें बाहर करने के लिए रची गई "विदेशी वित्त पोषित साजिश" का हिस्सा है। इसको लेकर पीटीआई ने इस्लामाबाद में एक रैली भी की।</p>
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28 मार्च को नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता शाहबाज शरीफ ने पीएम इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। हालांकि, तब पीटीआई को उस्मान बुजदार को हटाकर परवेज इलाही को नया मुख्यमंत्री बनाने पर पीएमएल-क्यू से समर्थन का आश्वासन मिला था। इसके साथ ही  सरकार की सहयोगी बीएपी ने विपक्ष का दामन थाम लिया था। वहीं, बलूचिस्तान से निर्दलीय एमएनए मोहम्मद असलम भूतानी ने भी सत्तारूढ़ गठबंधन का साथ छोड़कर और विपक्ष को साथ देने का ऐलान किया था।</p>
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31 मार्च को प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश होने के बाद पाकिस्तान नेशनल असेंबली की सत्र 3 अप्रैल तक स्थगित कर दिया गया।</p>
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3 अप्रैल को नेशनल असेंबली एनए के उपाध्यक्ष कासिम सूरी ने अविश्वास प्रस्ताव को "असंवैधानिक" करार देते हुए  इसे खारिज कर सदन की कार्यवाही समाप्त कर दी। इसके बाद राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने पीएम इमरान खान की सलाह पर नेशनल असेंबली (NA) को भंग कर दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक स्थिति का स्वत: संज्ञान लिया।</p>
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7 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने फिर से नेशनल असेंबली को बहाल कर दिया। नेशनल असेंबली को भंग करने के सरकार के फैसले और नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी के फैसले को संविधान के खिलाफ करार दिया। इसके साथ ही एनए अध्यक्ष असद कैसर को शनिवार  यानी 9 अप्रैल को विधानसभा सत्र बुलाने का भी आदेश दिया।</p>
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8 अप्रैल को सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के लिए निर्धारित होने से एक दिन पहले, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ऐलान किया कि वह किसी भी सूरत में सरकार गिराने के लिए "विदेशी साजिश" को बर्दाश्त नहीं करेंगे और अगर ऐसा होता है तो समर्थन के लिए जनता की ओर रुख करेंगे।</p>
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9 और 10 अप्रैल को पीटीआई के निर्वाचित अध्यक्ष असद कैसर ने सुबह 10:30 बजे अविश्वास प्रस्ताव पर वोट के लिए सत्र बुलाया। इमरान खान के नेतृत्व वाली पीटीआई ने पूरे सत्र के दौरान मतदान में देरी करने की कोशिश की। हालांकि, घड़ी के 12 बजने से कुछ मिनट पहले नेशनल असेंबली के स्पीकर असद कैसर ने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि वह प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ नहीं जा सकते हैं। इसके बाद उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव पर सत्र की अध्यक्षता करने के लिए अपनी सीट अयाज सादिक को सौंप दी। सादिक ने स्पीकर की सीट संभालने के बाद विपक्ष के 174 सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिसके कारण इमरान खान को प्रधानमंत्री कार्यालय से हटा दिया गया।</p>

आईएन ब्यूरो

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