भारत के बाद अब Britain को भी लेकर इस्लामिक देशों ने शुरू किया बवाल, फिल्म The Lady of Heaven को लेकर मचा हंगामा

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इस वक्त कई इस्लामिक देशों में जमकर प्रोटेस्ट हो रहे हैं। ये प्रोटेस्ट किसी अन्य देश में इस्लाम को लेकर की गई टिप्पणी को लेकर हो रहा है। इस वक्त ब्रिटेन में एक फिल्म को लेकर इस्लामिक देशों में आक्रोश है। साथ ही ब्रिटेन में इस्लामिक संगठनों द्वारा जमकर हंगामा किया जा रहा है। दरअसल, पैंगबर मोहम्मद की बेटी लेडी फातिमा की कहानी पर बनी फिल्म 'द लेडी ऑफ हेवन' को लेकर बैन करने की मांग की जा रही है और इसके लिए जमकर हंगाम किया जा रहा है। इस मामले में ब्रिटेन सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए अभियान का समर्थन करने के लिए इमाम कारी आसिम को सलाहकार के पद से हटा दिया है।</p>
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इमाम कारी आसिम सरकार के इस्लामोफोबिया सलाहकार थे और मुस्लिमों के प्रति घृणा रोकने के लिए बनी वर्कफोर्स के उपाध्यक्ष भी थे। उन्हें शनिवार शाम को सरकारी पत्र के जरिए सूचित किया गया कि फिल्म 'द लेडी ऑफ हेवन' के विरोध के लिए उनका समर्थन कलात्मक अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित करता है तथा सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाला है, इसलिए उनकी नियुक्ति वापस ली जाती है। बता दें कि, 'द लेडी ऑफ हेवन' फिल्म को लेकर इस्लामिक देशों के साथ ही कई देशों में जमकर बवाल किया जा रहा है।</p>
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कुवैत के यासिर अल-हबीब द्वारा लिखित फिल्म 3 जून को ब्रिटेन में रिलीज़ हुई थी। इसके बाद ब्रिटेन में बर्मिंघम, बोल्टन, ब्रैडफोर्ड और शेफील्ड में सिनेमाघरों के बाहर प्रदर्शन हुए हैं। इन प्रदर्शनों के चलते इस सप्ताह की शुरुआत में वहां के सिनेमाघरों ने अपने कर्मचारियों और ग्राहकों की सुरक्षा के लिहाज से फिल्म की स्क्रीनिंग रद्द कर दी थी। फिल्म को मिस्र, मोरक्को और पाकिस्तान में प्रतिबंधित कर दिया गया है, जबकि ईरान में मौलवियों ने इसे देखने वालों के खिलाफ फतवा जारी किया है।</p>
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वहीं, लीड्स की मक्का मस्जिद के प्रमुख इमाम कारी आसिम को भेजे गए सरकारी पत्रा में कहा गया है कि, स्वतंत्र अभिव्यक्ति को सीमित करने के अभियान के लिए आपके हालिया समर्थन ने सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा दिया है। आपने सिनेमाघरों में फिल्म की स्क्रीनिंग रोकने के लिए चल रहे अभियान को बढ़ावा दिया, जो कलात्मक अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित करने का स्पष्ट प्रयास है। इस अभियान ने धार्मिक घृणा को बढ़ावा दिया है। इसलिए अब आपके लिए सामुदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए तैयार की गई भूमिकाओं में सरकार के साथ काम जारी रखना उचित नहीं है।</p>
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<strong>क्यों हो रहा विवाद</strong></p>
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इस फिल्म के निर्माता मौलवी यासर अल-हबीब शिया मुस्लिम हैं। उनपर आरोप है कि, उन्होंने सुन्नियों के कुछ शुरुआती प्रमुख श्रद्धेय शख्सियतों को गलत तरीके से चित्रित किया है। यह भी कहा जा रहा है कि, उनके कार्यों की तुलना इराक में इस्लामिक स्टेट समूह से की गई है। मोरक्को की सुप्रीम उलेमा काउंसिल ने कहा है कि, यह फिल्म इस्लाम के स्थापित तथ्यों का घोर मिथ्याकरण है। इसके साथ ही फिल्म पर घृणित पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा है कि, फिल्म निर्माताओं ने प्रसिद्धि पाने और सनसनीखेज बनाने के लिए मुसलमानों की भावनाओं को आहत किया है और धार्मिक संवेदनाओं को भड़काने की कोशिश की है।</p>
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आईएन ब्यूरो

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