China: भारत को आजाद हुए 76 साल हो गए है। इन 76 सालों में भारत ने कई क्षेत्रों में अपना स्थान काफी ऊपर कर लिया है। ऐसा नहीं है कि भारत खुद को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ा है, बल्कि भारत ने दूसरे देशों के साथ भी अच्छे संबंध बनाए हैं। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर दूसरे देशों की भी मदद की है। अभी भारत के कई देशों के साथ अच्छे संबंध हैं, जिसमें इजरायल का नाम भी शामिल है। लेकिन, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को कहा कि उन्हें चीन (China) की ओर से आधिकारिक यात्रा का न्योता मिला है। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि उनकी यात्रा कब होगी। इजरायली पीएम ने यात्रा पर आए अमेरिकी सांसदों के साथ बैठक के दौरान यह घोषणा की। चीन का यह न्योता ऐसे समय में आया है जब कम्युनिस्ट देश क्षेत्र में अपना कूटनीतिक प्रभाव बढ़ाना चाहता है। साथ ही अमेरिका के बाइडन प्रशासन और नेतन्याहू के अति-राष्ट्रवादी सरकार के बीच तनाव अपने चरम पर है।
नेतन्याहू के कार्यालय का कहना है कि चीन की यह प्रस्तावित यात्रा बतौर प्रधानमंत्री उनकी चौथी यात्रा होगी। उसका कहना है कि उसने इस न्योते के संबंध में अमेरिका के बाइडन प्रशासन को पिछले महीने ही सूचित कर दिया था। प्रधानमंत्री कार्यालय ने यात्रा की संभावित तारीख के संबंध में टिप्पणी करने से मना कर दिया है। चीन ने हाल के महीनों में मध्य एशिया की कूटनीति में बेहद आक्रामक रूख अपनाया है। उसने इजरायल के कट्टर दुश्मनों ईरान और सऊदी अरब के साथ संबंधों को फिर से बहाल करने के लिए अप्रैल में बात की। इसके अलावा इसी महीने की शुरुआत में फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास की बीजिंग में मेजबानी भी की थी। इजरायल और चीन के बीच करीबी आर्थिक संबंध हैं लेकिन अमेरिका के साथ इजरायल के करीबी कूटनीतिक और सुरक्षा संबंधों के कारण चीन के साथ उसके संबंध मजबूत नहीं हो पा रहे हैं।
कुछ महीने पहले चीन के विदेश मंत्री किन गैंग ने कहा था कि चीन, इजरायली और फलस्तीन के बीच देश शांति वार्ता को सुविधाजनक बनाने में मदद करने के लिए तैयार है। गैंग ने यह बात इजरायली और फलस्तीनी के अपने समकक्षों के सामने कही थी। इससे पहले इजरायली और फलस्तीनी राजनयिकों के बीच अलग-अलग फोन कॉल में चीन ने खुद को क्षेत्र में मध्यस्थ के तौर पर स्थापित करने की बात कही थी। विशेषज्ञों की मानें तो जिस तरह से रूस और चीन गठबंधन आगे बढ़ रहा है और मीडिल ईस्ट में चीन की भूमिका मजबूत होती जा रही है, उससे कहीं न कहीं भारत पर असर पड़ने की पूरी संभावना है। हालांकि हो सकता है कि भारत को आने वाले समय में इजरायल, अमेरिका और यूएई ग्रुप में कुछ तवज्जो मिल जाए।
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