Taliban On TTP Pakistan: पाकिस्तान ने जिस तालिबान की मदद की अब वहीं उसके खून का प्यासा हो गया है। शुरुआत में दोनों के बीच जितनी गहरी दोस्ती देखने को मिल रही थी वहीं, अब दोनों के बीच दुश्मनी भी गहराते जा रही है। आने वाले दिनों में दोनों देशों में हालात बेहद खराब होते देखा जा सकता है। जहां एक तरफ पाकिस्तान लंबे समय से आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर कड़ा संघर्ष कर रहा है और उसके लिए चुनौतियां कम होने का नाम भी नहीं ले रही हैं। अब स्थिति यह हो गई है कि तालिबान जैसे आतंकी संगठन जिसे कभी पाकिस्तान ने पाला-पोसा वहीं उसे सबक सिखाने जैसी धमकी दे रहा है। ऐसे में पाकिस्तान का भविष्य अधर में लटका दिखाई दे रहा है।
पाकिस्तान को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से एक नए खतरे का सामना करना पड़ रहा है, जिसे पाकिस्तानी तालिबान के नाम से भी जाना जाता है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का गठन 2000 के दशक की शुरुआत में पाकिस्तानी सरकार के सहयोग से किया गया था। तब पाकिस्तान की कोशिश यह थी कि इस संगठन का इस्तेमाल अफगानिस्तान में भारत के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने में कारगर हथियार के रूप में करते रहेंगे।
पाकिस्तान के खिलाफ TTP का खूनी विद्रोह
हालांकि, पाकिस्तान की योजना लंबे समय तक कारगर साबित नहीं हुई और टीटीपी अपने ही आका के खिलाफ हो गया और वह पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया फिर टीटीपी (TTP) पाकिस्तान के खिलाफ खूनी विद्रोह कर रहा है। टीटीपी का पुनरुत्थान पाकिस्तान के लिए बड़ी चुनौती मानी जा रही है, क्योंकि इस आतंकी संगठन ने हाल के कुछ सालों में कई बड़े और हाई-प्रोफाइल आतंकी हमले किए हैं, जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोग मारे गए हैं। टीटीपी की धमकी का जवाब पाकिस्तानी सरकार की तरफ से सैन्य हमले से दिया गया है, मगर इसमें ज्यादा कामयाबी नहीं मिली है। टीटीपी के बारे में माना जाता है कि अब यह संगठन अफगानिस्तान में सुरक्षित ठिकानों से काम कर रहा है, और अफगानी तालिबान ने इस संगठन के खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई करने से साफ-साफ इनकार कर दिया है।
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पाकिस्तान का भविष्य और 3 ऑप्शन
संकटों से घिरे पाकिस्तान (pakistan) का भविष्य अनिश्चित है, क्योंकि देश इस समय टीटीपी की धमकी की वजह से सुरक्षा को लेकर खतरे का सामना कर रहा है। इन वजहों से पाकिस्तान के लिए कई संभावित परिणाम सामने आ सकते हैं। एक संभावना यह भी है कि सरकार या तो सैन्य माध्यमों के जरिए या फिर बातचीत के जरिए टीटीपी को काबू में कर सकती है। फिलहाल पाकिस्तान के लिए आगे का दौर बेहद संकटपूर्ण बना हुआ है। यह सब कुछ कई अलग-अलग कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें टीटीपी जैसे आतंकी संगठन से निपटने को लेकर सरकार की क्षमता, अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया और अफगान संघर्ष की गतिशीलता जैसी चीजें शामिल हैं।
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