Abraham Pact: यूएई और बहरीन ने इजरायल को अपनाया, थामा दोस्ती का हाथ

दुनिया के सबसे कठिन और असंभव मानी जाने वाली अरब-इजरायल में दोस्ती की बयान बहने लगी है। हालांकि अरब-इजरायल की दोस्ती में कई रोड़े हैं। फिर भी माना जा रहा है कि मिस्र-जॉर्डन के बाद यूएई और बहरीन का इजरायल के साथ अब्राहम पैक्ट (Abraham Pact) पर दस्तखत कर दोस्ती का दामन थामा है। यह घटना विश्व शांति की ओर एक बड़ा कदम मानी जा रही है। एक दिन बाकी अरब देश भी सदियों पुरानी अपनी दुश्मनी छोड़ इजरायल के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाएंगे। हालांकि फिलिस्तीन ने इस समझौते को खतरनाक विश्वासघात की संज्ञा दी है। यूएई और बहरीन के साथ इजरायल की दोस्ती का इस दस्तावेज पर व्हाइट हाउस में दस्तखत किए गये।

वाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अध्यक्षता में हुए समारोह में यूएई और बहरीन ने इजरायल के साथ ऐतिहासिक समझौते पर दस्तखत किए। समझौते के तहत खाड़ी के इन दोनों प्रमुख देशों ने इजरायल के साथ रिश्तों को पूरी तरह सामान्य करते हुए उसे मान्यता दे दी है। समझौते को अब्राहम पैक्ट (Abraham Pact)  दिया गया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इस ऐतिहासिक समझौते को 'नए मिडल ईस्ट का आगाज' बताया है। उन्हें उम्मीद है कि इससे न सिर्फ पश्चिम एशिया में नई व्यवस्था का सूत्रपात होगा बल्कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए शबाब पर पहुंचे प्रचार के बीच उनकी छवि शांति लाने वाले एक नायक की होगी।

यूएई और बहरीन अब तीसरे और चौथे अरब देश हो गए हैं जिन्होंने 1948 में स्थापित हुए इजरायल को मान्यता दी है। दोनों देशों से पहले सिर्फ मिस्र और जॉर्डन ही ऐसे अरब देश थे जिन्होंने इजरायल को क्रमशः 1978 और 1994 में मान्यता दी थी। दशकों से ज्यादातर अरब देश इजरायल का यह कहते हुए बहिष्कार करते आए हैं कि जब तक फिलिस्तीन का विवाद हल नहीं हो जाता तब तक वे उसके साथ कोई रिश्ता नहीं रखेंगे।

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने समझौते का स्वागत करते हुए कहा, 'यह दिन ऐतिहासिक है। यह शांति की नई सुबह का आगाज है।' यूएई के विदेश मंत्री और वहां के ताकतवर क्राउन प्रिंस के भाई शेख अब्दुल्लाह बिन जायेद अल नाहयान ने कहा कि इससे दुनियाभर में उम्मीद की एक नई किरण जगेगी। बहरीन के विदेश मंत्री अब्दुल्लाआतिफ अल-जायानी ने भी ऐतिहासिक समझौते का स्वागत किया और साथ में यह प्रतिबद्धता भी जताई कि उनका देश फिलिस्तीन के साथ खड़ा रहेगा। हालांकि, फिलिस्तीनियों ने इन समझौतों की निंदा करते हुए इसे खतरनाक विश्वासघात करार दिया है।

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सतीश के. सिंह

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