Ukraine जंग से दुनिया को भारी नुकसान लेकिन, भारत फायदे में- Putin के कहने पर PM Modi ने किया था ये काम

<div id="cke_pastebin">
<p>
यूक्रेन में जब से रूस ने सैन्य अभियान शुरू किया है उसके बाद से ही दुनिया भर में कई सारी चीजों की भारी कमी देखने को मिल रही है। यूक्रेन पर हमले के बाद कई चीजों की कमी खली। क्योंकि, यूक्रेन और रूस दोनों ही खाद्यान्न और खाद्य तेल समेत दूसरे खाद्य पदार्थों के बड़े निर्यातक हैं। दोनों देश यूरोप के 'ब्रेड बास्केट' कहे जाते हैं। दुनिया के बाजार में आने वाले गेंहू में 29 और मक्के में 19 फीसदी की हिस्सेदारी यूक्रेन और रूस की है। इसके साथ ही यूक्रेन सूरजमुखी तेल का सबसे बड़ा उत्पादक है। वहीं, पश्चिमी देश रूस के तेल और गैस के निर्यात पर टिके हैं। एक रिपोर्ट की माने तो यूक्रेन पर हमले से पहले दुनिया में इस्तेमाल होने वाले हर दस बैरल में से एक बैरल कच्चा तेल रूस का हुआ करता था। लेकिन, इस हमले के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर कई सारे कड़े प्रतिबंध लगा दिए। जिसका असर पूरी दुनिया पर देखने को मिला। रूस से तेल खरीदने पर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि, रूस से ज्यादा इसका असर पश्चिमी देशों में हुआ और दुनिया के कई बाकी देशों में। जहां पर तेल रिकॉर्ड हाई पर है। कुल मिलाकर पूरी दुनिया में इस वक्त महंगाई अपने चरम पर। लेकिन, इस युद्ध के चलते भारत को खुब फायदा हुआ है।</p>
<p>
दरअसल, जब अमरिका संग पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाया तो इसका फर्क तेल पर भी पड़ा। जिसके चलते रूस तेल की आपूर्ति नहीं कर पा रहा था और ऐसे में उसने दामों कटौती कर दी थी। इसका सीधा फायदा भारत ने उठाया, जिसने अमेरिका समेत कई देशों के दबाव के बाद भी रूस से जमकर तेल की खरीद की थी। यही वजह है कि रूस अब भारत को तेल की आपूर्ति करने वाले अग्रणी देशों में आ गया है। अप्रैल से जून तिमाही के दौरान रूसी क्रूड ऑइल सऊदी अरब से सस्ता रहा है। मई में तो यह 19 डॉलर प्रति बैरल तक कम था।</p>
<p>
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में बताया गया है कि, रूस से भारत को बढ़ी सप्लाई के चलते वह भारत को क्रूड बेचने वाले देशों में दूसरे नंबर पर आ गया है। इससे पहले सऊदी अरब को यह दर्जा हासिल था। यूक्रेन संकट के बाद भारत के साथ ही चीन ने भी रूस से बड़े पैमाने पर तेल खरीदा है। भारत अपनी तेल जरूरतों का 85 फीसदी हिस्सा आयात करता है। ऐसे में यूक्रेन संकट के बीच रूस के सस्ते तेल ने भारत के आयात बिल को कम करने में मदद की है। यही नहीं कोरोना के बाद से महंगाई और मंदी की आशंकाओं से निपटने में भी सहायता मिली है।</p>
<p>
इसके साथ ही सरकारी डेटा की माने तो, भारत ने जून तिमाही में 47.5 बिलियन डॉलर का तेल आयात किया था। हालांकि बीते साल इसी तिमाही में भारत ने 25.1 अरब डॉलर का ही तेल खरीदा था। भारत ने बड़े पैमाने पर तेल स्टोर करने के लिए भी ज्यादा खरीद की है। भारत के लिए ये काफी सही मौका था क्योंकि, इस दौरान मंदी और महंगाई की आशंका थी। तेल के मार्केट पर नजर रखने वाले जानकारों का कहना है कि एक तरफ भारत ने रूस से तेल की खरीद बढ़ा दी है।</p>
<p>
हालांकि, सऊदी अरब और इराक को भी कोई नुकसान नहीं हुआ है। क्योंकि, उन्होंने अपना निर्यात यूरोप को बढ़ा दिया है। यूरोप ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है। हालांकि, रूस को इसमें घाटा नहीं है और रूस के चलते भारत को फायदा मिला है।</p>
</div>

आईएन ब्यूरो

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

7 months ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

7 months ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

7 months ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

7 months ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

7 months ago