Taliban के खिलाफ सेंट्रल एशिया के 5 प्लस वन देशों ने बिगुल बजाया, जंग के रास्ते तालिबान को Afghanistan पर काबिज नहीं होने देंगे!

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अफगानिस्तान में खून की होली खेलने वाले और महिलाओं के साथ पशुओं जैसा व्यवहार करने वाला तालिबान कतर की राजधानी दोहा में ही हर बार वार्ताक्यों आयोजित करता है! क्या तालिबान को डर है कि कतर से बाहर मुल्ला हिबतुल्लाह अखुंजादा को मौत के घाट उतारा जा सकता है? क्या मुल्ला ब्रादर या बाकी अन्य तालिबान नेताओं को अपनी जान का खतरा है? ये सारे सवाल, सवाल नहीं हकीकत है।</p>
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अफगानिस्तान की सरकार काबुल से उठ कर कतर पहुंची और शांति के लिए तालिबान के सामने कई ऐसे प्रस्ताव रखे जिनसे अफगानिस्तान में अमन कायम कर हो सके। लेकिन तालिबान किसी भी प्रस्ताव पर राजी नहीं हुए। ऐसा कहा जाता है कि अफगानिस्तान सरकार के शिष्ट मण्डल ने कहा हिंसा और अत्याचार का रास्ता छोड़ तालिबान संवैधानिक तरीके से अफगानिस्तान की सरकार में शामिल हो। अगर तालिबान समझता है कि अफगानिस्तान की जनता उसको समर्थन देती है तो चुनाव प्रक्रिया में शामिल हो। बहुमत हासिल कर सरकार बनाए और अफगानिस्तान में अमन-चैन कायम करे।</p>
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अफगानिस्तान के शिष्टमण्डल ने तालिबान को समझाने की लाख कोशिश की लेकिन ढाक के तीन पात की तरह नतीजा कुछ नहीं निकला। ऐसा भी समझा जाता है कि तालिबान कोई भी फैसला खुद नहीं लेते। दो दिन की वार्ता के बाद अब इस्लामाबाद में चर्चा होगी। अगर, अफगान सरकार के प्रस्ताव पाकिस्तान के फायदे के होंगे तो तालिबान हां कर देगा वरना फिर वही जैसा हो रहा है वैसा ही होता रहेगा।</p>
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तालिबान के अड़ियल रवैये को देखते हुए अमेरिका और मध्‍य एशिया के 5देशों ने भी ऐलान कर दिया है कि तालिबान को हिंसा के बल पर अफगानिस्‍तान पर कब्‍जा नहीं करने देंगे। अमेरिका और मध्‍य एशिया के 5देशों ताजिकिस्‍तान, कजाखस्‍तान, किर्गिस्‍तान, तुर्कमेनिस्‍तान और उज्‍बेकिस्‍तान ने कहा है कि अगर किसी तरह ताकत के बल पर तालिबान सत्ता में भी आ गया तो उसे कोई समर्थन नहीं दिया जाएगा।</p>
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इन सभी देशों ने एक संयुक्‍त बयान जारी करके तालिबान को यह खुली चेतावनी दी है जो लगातार हिंसक हमले करके अफगानिस्‍तान के बहुत बड़े हिस्‍से पर अपना कब्‍जा कर चुका है। सभी 6देशों ने कहा कि आतंकवादी और तीसरे पक्ष की ताकतों को निश्चित रूप से अफगान जमीन का इस्‍तेमाल हमको या दुनिया के किसी अन्‍य देशों को धमकी देने के लिए नहीं करने देना चाहिए।</p>
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इस गठबंधन को फाइव प्लस वन का नाम दिया गया है और उन्‍होंने प्रण किया है कि अफगानिस्‍तान के संघर्ष को खत्‍म करने के लिए वे मिलकर काम करेंगे। उन्‍होंने कहा कि युद्ध की वजह से दक्षिण और मध्‍य एशियाई देशों का आर्थिक विकास बाधित हो गया है। यह बयान ताशकंद में हुए अंत‍रराष्‍ट्रीय सम्‍मेलन के बाद आया है। इस पर साइन करने वाले देशों ने कहा कि वे अफगान शांति प्रक्रिया के लिए स्‍थायी और समृद्ध स्थितियां बनाने पर सहमत हो गए हैं।</p>
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इन सभी देशों का मुख्‍य जोर पूरे मुद्दे के राजनीतिक समाधान पर है। इससे पहले शुक्रवार को अमेरिका, अफगान‍िस्‍तान, पाकिस्‍तान और उज्‍बेकिस्‍तान की ओर से जारी संयुक्‍त बयान में क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ाने के लिए एक नए बहुपक्षीय राजनयिक प्‍लेटफार्म को बनाने पर सहमति बनी थी। फाइव प्लस वन देशों के गठबंधन ने अफगानिस्‍तान में सुरक्षा, ऊर्जा, आर्थिक, व्‍यापार, संस्‍कृति और अन्‍य प्रयासों पर सहयोग करने का फैसला किया।</p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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