भारतीय नेताओं को Russia के खिलाफ भड़का रहा अमेरिका, PM Modi ने कहा, Joe Biden- अंजाम बेहद ही…

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तमाम कोशिशों के बाद भी पश्चिमी देश रूस को यूक्रेन पर हमले करने से नहीं रोक पा रहे हैं। अमेरिका और नाटो के चक्कर में फंसे यूक्रेन की हालत इस वक्त बेहद ही खराब है। इस बीच अमेरिका और नाटो दुनिया से ये कह रहे हैं कि वो रूस के खिलाफ जाए और यूक्रेन के पक्ष में आकर मदद करे। इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने हाल ही में अपने एक बयान में कहा था कि, जो भी देश रूस का साथ देगा वो उसे बरबाद कर देंगे। अब ये तो वहीं, बात हो गई है मैं जो कहूंगा वही होगा। संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ मतदान में भारत ने अपना रूख साफ करते हुए ना तो पक्ष में मतदान दिया और ना ही खिलाफ और इससे खुद को अलग कर लिया। जिसके बाद अमेरिका दबाव बनाने की कोशिश कर रहा था। जब दबाव से दाल नहीं गली तो अमेरिका अब एक अलग चाल चल रहा है। वो अब भारतीय नेताओं को रूस के खिलाफ आने के लिए कहा रहा है।</p>
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अमेरिका समेत कई देशों की ओर से रूस पर प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन पर आक्रमण को लेकर बुधवार को 'युद्ध अपराधी' करार दे दिया। इस बीच व्हाइट हाउस ने बुधवार को कहा कि अमेरिका भारतीय नेताओं के संपर्क में है और उन्हें यू्क्रेन पर रूस के हमले के खिलाफ खड़े होने के लिए निकटता से मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, जैसा कि आप जानते हैं कि हम हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा दल के जरिए विभिन्न माध्यमों से भारत के नेताओं के संपर्क में हैं और यूक्रेन पर (रूस के) राष्ट्रपति (व्लादिमीर) पुतिन के हमले के खिलाफ खड़े होने के लिए हमारे साथ निकटता से काम करने के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रहे हैं।</p>
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पिछले दो सप्ताह में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने दिखाया है कि वह रूस के साथ भारत के संबंध और सैन्य एवं सुरक्षा जरूरतों के लिए उसकी मॉस्को पर अत्यधिक निर्भरता के मद्देनजर रूस के संबंध में भारत के रुख को समझता है। अमेरिकी हिंद प्रशांत कमान के कमांडर एडमिरल जॉन क्रिस्टोफर एक्विलिनो ने पिछले सप्ताह संसद में एक सुनवाई के दौरान कहा था कि अमेरिका और भारत एक जबरदस्त साझेदार हैं और दोनों देशों की सेनाओं के बीच संबंध संभवत: शीर्ष बिंदु पर हैं। हिंद-प्रशांत सुरक्षा मामलों के लिए सहायक रक्षा मंत्री एली रैटनर ने एक अन्य बैठक में सदन की सशस्त्र सेवा समिति के सदस्यों से कहा था, हम समझते हैं कि भारत का रूस के साथ जटिल इतिहास और संबंध है।</p>
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भारत को बहुत ही सोच समझ कर कदम उठाना होगा। क्योंकि, अमेरिका आज अपने फायदे के लिए भारत के साथ है लेकिन, एक समय था जब यही अमेरिका कश्मीर मुद्दे पर भारत खिलाफ वोट दिया था, परमाणु पर विरोध किया था। इसके साथ ही भारतीय नेताओं को ये नहीं भुलना चाहिए की पाकिस्तान के साथ 1971 वाली लड़ाई में अमेरिका ने तो पाकिस्तान की ओर से भारत पर हमला करने के लिए अपना सातवा बेड़ा लेकर आ गया था। और उस दौरान भारत को कोई बचाया था तो वो है रूस जो अमेरिका और ब्रिटेन दोनों के सामने खड़ा था। ऐसे में भारतीय नेताओं को सोच समझ कर कदम उठाना होगा।</p>
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आईएन ब्यूरो

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