अमेरिका के एटॉमिक एनर्जी डिपार्टमेंट पर हमला, नुकसान के आंकलन में लगी एजेंसियां!

अमेरिका में पॉवर ट्रांजिशन के दौरान बड़ा हमला हुआ है। हमला अमेरिका के नेशनल न्यूक्लियर सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन और डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी पर किया गया है। यह हमला बम बंदूक या मिसाइल का नहीं बल्कि साइबर हमला (Cyber Attack) है। इस साइबर हमले (Cyber Attack) से अमेरिका की कई फेडरल एजेंसियों पर असर पड़ा है। अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने खुल कर नहीं बताया है कि यह हमला किसने किया लेकिन ऐसा समझा जाता है कि यह साइबर हमला (Cyber Attack) ईरान और चीन या रूस में से किसी देश के हैकर्स ने किया है।

अमेरिकी मीडिया पॉलिटिको की रिपोर्ट के अनुसार, ऊर्जा विभाग के मुख्य सूचना अधिकारी रॉकी कैंपियोन ने इस घटना की पुष्टि की है। इसके बाद राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्रशासन और ऊर्जा विभाग की टीम ने हैकिंग से जुड़ी सभी जानकारियों को यूएस कांग्रेस समिति को भेज दी है।

जिन एजेंसियों में सुरक्षा अधिकारियों ने संदिग्ध गतिविधियों को रेकॉर्ड किया है उनमें न्यू मैक्सिको और वाशिंगटन की फेडरल एनर्जी रेगुलेटरी कमीशन (एफईआरसी), सैंडिया राष्ट्रीय प्रयोगशाला न्यू मेक्सिको और लॉस अलामोस राष्ट्रीय प्रयोगशाला वॉशिंगटन, राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्रशासन का सुरक्षित परिवहन कार्यालय और रिचलैंड फील्ड कार्यालय शामिल हैं। ये सभी विभाग अमेरिका के परमाणु हथियारों के भंडार को नियंत्रित और उनके सुरक्षित परिवहन को सुनिश्चित करते हैं।

अमेरिकी अधिकारियों ने बताया है कि ये हैकर्स अन्य एजेंसियों की तुलना में फेडरल एनर्जी रेगुलेटरी कमीशन को अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं। अधिकारियों ने कहा है कि इस एजेंसी के नेटवर्क में उन्हें सबसे ज्यादा घुसपैठ के सबूत मिले हैं। इस मामले में साइबर सिक्योरिटी और इंफ्रास्ट्रक्चर सिक्योरिटी एजेंसी हैकिंग गतिविधियों से जुड़ी जांच में अमेरिकी फेडरल सर्विसेज को मदद कर रही है।

अमेरिका की साइबर सुरक्षा की जिम्मेदारी मुख्य रूप से साइबर सिक्योरिटी और इंफ्रास्ट्रक्चर सिक्योरिटी एजेंसी (सीआईएसए) के पास होती है। लेकिन, ट्रंप प्रशासन में इस एजेंसी को काफी कमजोर कर दिया गया। इसके पूर्व निदेशक क्रिस्टोफर क्रेब्स सहित सीआईएसए के कई शीर्ष अधिकारियों को या तो ट्रंप प्रशासन ने बाहर कर दिया है या हाल के हफ्तों में इस्तीफा दे दिया है।.

सतीश के. सिंह

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