<span style="font-size: 16px;">निर्वासित तिब्बती सरकार के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि के तौर पर अमेरिकी सीनेट ने मंगलवार को सर्वसम्मति से <strong>तिब्बती नीति और सहायता अधिनियम (टीपीएसए) 2020</strong> को पारित कर दिया। यह मई से सीनेट की विदेश संबंध समिति में अटका हुआ था। अमेरिका का यह कानून  तिब्बती धर्मगुरु </span>दलाई लामा को विशेष पहचान दिलाता है। साथ ही चीनी अधिकारियों के दलाई लामा और तिब्बती सरकार में किसी हस्तक्षेप को अस्वीकार्य करता है। चीन की ओर से कोई दखलंदाजी बढ़ने पर उसे प्रतिबंध भी झेलने पड़ सकते हैं।
एक ऐतिहासिक निर्णय के रूप में बताते हुए, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के अध्यक्ष लोबसांग सांगे का कहना है कि तिब्बती नीति और समर्थन अधिनियम इस बात को आधिकारिक बनाता है कि अमेरिकी नीति दलाई लामा के रीइनकॉर्नेशन के संबंध में निर्णय मौजूदा दलाई लामा (तिब्बती धर्मगुरु) के अथॉरिटी के भीतर विशेष रूप से हैं।
उन्होंने कहा, चीनी सरकार के अधिकारियों के किसी भी हस्तक्षेप की परिणिती गंभीर प्रतिबंधों के रूप में होगी और अमेरिका में इसे अस्वीकार्य माना जाएगा। टीपीएसए अप्रोप्रिएशन बिल का हिस्सा था जिस पर बहस हुई और पारित किया गया।
<strong>सांगे ने एक ट्वीट में कहा, मैं पिछले पांच दिनों से वाशिंगटन डीसी में हूं और आखिरकार प्रयासों को फलीभूत होते देख अच्छा लग रहा है। सांगे ने एक बयान में कहा, टीपीएसए पास करके, कांग्रेस ने अपना संदेश जोर से और स्पष्ट रूप से भेजा है कि अमेरिका के लिए तिब्बत एक प्राथमिकता है और वह दलाई लामा और सीटीए के लिए अपना समर्थन जारी रखेगा। </strong>
<h3>स्व-शासन की प्रणाली को मिली मजबूती</h3>
उन्होंने कहा, यह तिब्बती लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। बाइपार्टिजन बिल लोकतांत्रिक शासन को लागू करने के निर्णय के लिए दलाई लामा की सराहना करता है और नेताओं को चुनने के लिए लोकतांत्रिक संस्थानों के साथ स्व-शासन की प्रणाली को सफलतापूर्वक अपनाने के लिए तिब्बती निर्वासित समुदाय की भी अनुशंसा करता है।
इसके अलावा, यह औपचारिक रूप से सीटीए को वैध संस्था के रूप में स्वीकार करता है। टीपीसीए तिब्बती पठार पर पर्यावरण और जल संसाधनों की रक्षा करने के उद्देश्य से नए प्रमुख प्रावधानों को भी पेश करता है। यह चीनी सरकार द्वारा तिब्बती खानाबदोशों के जबरन पुनर्वास के विरोध में इस क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में पारंपरिक तिब्बती घास के मैदान के विकास के महत्व को स्वीकार करता है। इसके अलावा, यह तिब्बती पठार पर पर्यावरण की निगरानी के लिए अधिक से अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का आह्वान करता है।.
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