चीन (China) के जासूसी गुब्बारे की दुनियाभर में चर्चा हो रही है। अमेरिका (US) ने अपने यहां आसमान में नजर आए बड़े आकार के चाइनीज बैलून को लड़ाकू विमान से हमला कर मार गिराया था। इस घटना से दोनों देशों में तेजी से तनाव बढ़ गया। आए रोज अमेरिकी और चीनी अधिकारियों के आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं। दरअसल अमेरिकी सेना ने कहा है कि उसने जिस गुब्बारे को शूट किया था, वो चीन का जासूसी गुब्बारा था। वहीं जब से अमेरिका में चीनी गुब्बारे और यूएफओ को मार गिराए जाने के बाद दुनियाभर में हड़कंप मचा हुआ है। अमेरिका ने खुलासा किया है कि चीन ने इन जासूसी गुब्बारे की मदद से भारत से लेकर खाड़ी देशों तक की जासूसी की है।
अमेरिका (US) के हाथ चीन के इन जासूसी गुब्बारों का सबसे अहम मलबा लग गया है जो ड्रैगन की पोल को खोल सकता है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने बताया कि सेना को बेहद ऊंचाई पर उड़ने वाले जासूसी गुब्बारे के प्रमुख सेंसर मिल गए हैं। कहा जा रहा है कि इनकी मदद से पिछले कई साल से खुफिया निगरानी की जा रही थी। अभी 10 दिन पहले ही अमेरिका की वायुसेना (US Air Force) ने दक्षिणी कैरोलिना तट पर एक फाइटर जेट की मदद से इस चीनी जासूसी गुब्बारे को हवा में ही मार गिराया था। अमेरिकी सेना के नार्दन कमांड ने कहा, ‘चालक दल ने घटनास्थल से महत्वपूर्ण मलबा हासिल कर लिया है।
मालूम हो चीन पिछले कई साल से इन जासूसी गुब्बारों की मदद से पूरी दुनिया में निगरानी कर रहा है। अमेरिका ने खुलासा किया है कि यह जासूसी गुब्बारा भारत, जापान, खाड़ी देश और लैटिन अमेरिका के देशों के ऊपर उड़ान भर चुका है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय वाइट हाउस ने पिछले तीन दिनों में तीन अज्ञात वस्तुओं को मार गिराने के कदम का बचाव किया है। वाइट हाउस ने इस बात को स्वीकार किया कि अधिकारियों के पास इस बात का कोई संकेत नहीं था कि ये वस्तुयें भी उसी प्रकार से निगरानी के लिये थीं।
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राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता जॉन किर्बी क्या बोले?
वाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता जॉन किर्बी ने बताया कि ये तीन वस्तुएं इतनी कम ऊंचाई पर उड़ रही थीं कि नागरिक हवाई यातायात को खतरा हो सकता था। इनमें से एक को रविवार को ह्यूरोन झील के ऊपर मार गिराया गया था। उन्होंने कहा कि बाइडन प्रशासन के पास अब तक इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि उन्हें जासूसी के लिये तैनात किया गया था अथवा उनका ताल्लुक चीन से था। अधिकारियों ने हालांकि इस आशंका से इंकार नहीं किया है। किर्बी ने कहा कि ये निर्णय अमेरिका के लोगों के सर्वोत्तम हित को देखते हुए लिया गया था।
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