Afghanistan में तालिबान के वापसी का जश्न Islamabad में- इमरान खान और ISI पर भड़का US

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अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से अगर कोई खुश है तो वो है चीन और पाकिस्तान। इमरान खान तो अपने दोस्त चीन से भी ज्यादा खुश हैं। अफगान में तालिबानियों की जीत का जश्न इस्लामाबाद में मन रहा है। तालिबानियों की मदद को लेकर अब तथ्य धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं। USसांसद के सांसद ने दावा किया है कि तालिबान को बढ़ावा देने और उसे अफगानिस्तान पर कब्जा करने में सबसे बड़ी मदद पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी ISI ने की है। यूएस सांसद ने पाकिस्तान पर यह आरोप लगाते हुए कहा है कि, ये देखकर बहुत ही गुस्सा आ रहा है कि इस्लामाबाद तालिबान की जीत का जश्न मना रहा है, जबकि तालिबान की वापसी से अफगान लोगों पर क्रूरता बढ़ जाएगी।</p>
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पाकिस्तान पर लंबे समय से आरोप लगते रहे हैं कि वो तालिबान की मदद करता रहा है और चरमपंथी संगठन को हथियार की सप्लाई करता है। इंडिया कॉकस के को-चेयर कांग्रेसमैन स्टीव चाबोट ने रविवार को अपने एक बयान में कहा कि, वह अफगान धार्मिक अल्पसंख्यकों का स्वागत करने के लिए भारत सरकार की सराहना करते हैं। इन धार्मिक अल्पसंख्यकों को तालिबान और उनके बुरे शासन की वजह से उत्पीड़न का डर है। उन्होंने कहा कि, हम सब लोग जानते हैं कि पाकिस्तान और खासकर उसकी खुफिया एजेंसी ISI ने तालिबान को बढ़ावा देने में मुख्य भूमिका निभाई है और उनकी मदद से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है।</p>
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स्टीव चाबोट ने आगे कहा कि, यह देखना बहुत ही खराब है कि पाकिस्तानी अधिकारी तालिबान की जीत का जश्न मना रहे हैं। जबकि वे संगठन अफान लोगों पर क्रूरता लेकर आएगा। हालांकि, पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर होने वाले उत्पीड़न को अमेरिका में कम तवज्जो दी जाती है, जबकि इस पर बात होनी चाहिए। अच्छा होगा कि हम अपने साथी नागरिकों को इन दुर्रव्यव्हारों के बारे में शिक्षित करें। उन्हें उत्पीड़न विशेष रूप से अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और कम उम्र की हिंदू लड़कियों का बड़े मुस्लिम व्यक्तियों से जबरन निकाह करने की जानकारी देनी चाहिए।</p>
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स्टीव चाबोट ने यह भी कहा कि, "इस तरह के आरोप महज अफवाह भर नहीं हैं, प्रमुख समाचार संगठनों और मानवाधिकार समूहों ने इस उत्पीड़न का डॉक्युमेंटेशन किया है। इसमें युवा लड़कियों को उनके परिवारों से अलग किया जाना और उनका जबरन निकाह कर दिया जाना जैसी दिल दहला देने वाली कहानियां शामिल हैं"।</p>
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उन्होंने कहा कि, अमेरिका में लगभग 60 लाख हिंदू रहते हैं, हिंदू पूरे अमेरिका में समाज का एक अभिन्न अंग हैं। हिंदू अमेरिकियों के खिलाफ भेदभाव की खबरें चिंताजनक है। ऐसा करने की अमेरिका में जगह नहीं है।</p>
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आईएन ब्यूरो

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