Tibet को लेकर अमेरिकी सदन प्रवक्ता Nancy Pelosi ने कहा- अब भी साथ नहीं आई दुनिया तो China पूरी तरह कर देगा…

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चीन अपने पड़ोसी देशों के लिए दुनिया का सबसे खतरनाक देश है। जहां दुनिया के देश अपने पड़ोसी देशों से आपस में मिल कर रहते हैं तो वहीं चीन इनकी जमीनों को हथियाने के चक्कर में रहता है और कई देशों की सीमा में तो काफी अंदर तक कब्जा कर लिया है। तिब्बत को लेकर चीन के इरादे ठीक नहीं हैं। तिब्बत के लोगों की जिंदगी अब पहले जैसे नहीं रही। हाल के दिनों में एक खबर आई थी कि चीन तिब्बत के लोगों को फोनों में एक ऐसा सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर रहा है जिसके जरिए वो उनके हरकतों पर नजर रख रहा है। यहां के लोगों को भी चीन अब एक तरह से सर्विलांस में रखना शुरू कर दिया है। अमेरिका लगातार संयुक्त राष्ट्र और कई वैश्विक मंच पर चीन की हरकतों को उजागर करता रहा है। अब एक बार फिर से अमेरिका ने चीन को लेकर बड़ा खुलासा किया है।</p>
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दरअसल, अमेरिकी सदन प्रवक्ता नैंसी पेलोसी ने चीन पर तीखा हमला करते हुए उनके द्वारा दशकों से तिब्बत में मानवाधिकारों पर हमला और हनन करने का आरोप लगाया है। नैंसी पेलोसी ने 8वें विश्व सांसद सम्मेलन में तिब्बत के पक्ष में टिप्पणी करते हुए कहा कि- चीन द्वारा तिब्बत में दशकों से मानवाधिकार पर किया जा रहा यह हमला स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि बीजिंग को तिब्बत की स्वायत्तता, पहचान या आस्था का कोई सम्मान नहीं है तथा तिब्बत के लिए वास्तविक स्वायत्तता को आगे बढ़ाने के लिए दुनिया भर के नेताओं को एक साथ लाने के लिए यह मंच महत्वपूर्ण है। तिब्बत में चीन द्वारा दशकों के दोहन के बावजूद वह अपने धर्म, संस्कृति, पहचान और पर्यावरण को संरक्षित करने के प्रयास के साथ वैश्विक शांति को बढ़ावा दे रहे हैं, तो हमें भी उनके साथ आना चाहिए।</p>
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तिब्बत पर 8वां विश्व सांसद सम्मेलन (WPCT) अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चिंता व्यक्त करने वुर चर्चा के लिए 22 से 23 जून तक विश्व के कई नेताओं को आमंत्रित किया गया है। इसके आगे नैन्सी पेलोसी ने कहा कि, यह दुनिया का नैतिक कर्तव्य है कि वह चीन के इस हमले के खिलाफ अपनी आवाज ऊंची कर तिब्बती लोगों के पक्ष में खड़े हों। उन्होंने दुनिया के कई देशों द्वारा इस मुद्दे पर ना बोलने का कारण बताते हुए कहा कि वह चीन में वाणिज्यिक संबंधों के कारण उनके द्वारा किए जा रहे मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ नहीं बोलते हैं।</p>
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आईएन ब्यूरो

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