पाकिस्तान (Pakistan) के हालात बेहद ख़राब हो चुके हैं। ऐसे में देश का डिफ़ॉल्ट हो जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। वहीं पाकिस्तान आर्थिक संकट की चौतरफा मार झेल रहा है ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद ग्रहयुद्ध जैसे हालात हो गए हैं। यह इसी बीच यह ऐसा संकट आया है जब कंगाल पाकिस्तान एक एक देश के आगे कटोरा लेकर भीख मांग रहा है। विश्लेषकों की मानें तो यह लंबे समय से अटके बेलआउट पैकेज को हासिल करने की पाकिस्तान की संभावनाओं को ‘कम कर देगा’। अगर वक्त रहते पाकिस्तान को यह राशि हासिल नहीं हुई तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। इस बीच प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने आईएमएफ के एमडी क्रिस्टालिना जॉर्जीवा से बात की है। आईएमएफ का कहना है कि पाकिस्तान कर्ज के लिए जरूरी शर्तों को पूरा करने में विफल रहा है। इसके बावजूद पाकिस्तान सरकार का दावा है कि आईएमएफ की शर्तों को पूरा किया जा चुका है। पाकिस्तान में विदेशी निवेश भी न के बराबर है। हालांकि, पाक सरकार इन दिनों रूस और चीन के साथ व्यापार के नए रास्तों को खोलने की कोशिश कर रही है। हाल में ही रूस से पहली बार डायरेक्ट कार्गो शिप पाकिस्तान पहुंचा है। इसके बावजूद पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था पर संकट बरकरार है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर पाकिस्तान लोन डिफॉल्ट करता है तो क्या होता है?
डिफाल्ट होने के बाद पाकिस्तान का क्या होगा?
डिफॉल्ट होने की स्थिति में पाकिस्तानी नागरिकों को भयावह आर्थिक और सामाजिक संकट का सामना करना होगा। इसके परिणामस्वरूप भोजन, दवाओं, ईंधन और आवश्यक वस्तुओं को आयात करने और खरीदने के लिए आवश्यक नकदी की कमी हो सकती है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के लिए एक लोकप्रिय बजट पेश करने की योजना पर आगे बढ़ना है या नहीं, इस पर भी निर्णय लेने के लिए कम समय बचा है। यह देगी पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय लेनदारों को भी परेशान कर रही है। उनका दूसरा और एकमात्र विकल्प लंबे समय के लिए कर्ज को खोजना है। यही पाकिस्तान को भविष्य में डिफॉल्ट की स्थिति से बचा सकता है। पाकिस्तान सरकार ने उम्मीद जताई है कि उनकी अर्थव्यववस्था संकट से बाहर निकल जाएगी और डिफॉल्ट जैसी परिस्थिति पैदा नहीं होगी।
लोगों के सामान खरीदने की शक्ति होगी खत्म
पाकिस्तान (Pakistan) सरकार के राजस्व से ब्याज भुगतान लगातार बढ़ता जा रहा है। मुद्रास्फीति के कारण संप्रभु डिफॉल्ट का खतरा भी गंभीर हो रहा है। डिफॉल्ट होते ही आम आदमी का वेतन की क्रय शक्ति खत्म हो जागी। पाकिस्तान पहले भी आर्थिक संकटों में फंस चुका है, इसके बावजूद सरकार को नेताओं को उम्मीद है कि उनका देश सभी संकटों से बाहर निकल जाएगा। चरम राजनीति और आर्थिक संकट के कारण श्रीलंका भी पिछले साल अप्रैल में अपने इतिहास में पहली बार कर्ज की किश्त चुकाने में चूक की थी।
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आयात प्रतिबंधों कि वजह से मिली थोड़ी मोहलत
यदि पाकिस्तान सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की सहायता के बावजूद या उसके बिना अगले वित्त वर्ष में 25 बिलियन डॉलर का कर्ज चुकाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था करने में विफल रहती है तो पाकिस्तान के लोग जीवन के ऐसे तरीके का अनुभव करेंगे जो उन्होंने कभी नहीं किया होगा। 250 मिलियन लोगों का जीवन स्तर गिर जाएगा। डिफॉल्ट को रोकने के लिए पाकिस्तान सरकार पहले ही आयात प्रतिबंधों को लगाए हुए है। इस कारण पाकिस्तान में भोजन, ईंधन और दवाओं की कमी पहले से ही है। डिफॉल्ट होने के बाद यह स्थिति और बदतर हो जाएगी। पाकिस्तानी रुपये के मूल्य में गिरावट जारी रहेगी।
पाकिस्तानी मुद्रा होगा बुरा हाल
वहीं डिफॉल्ट की स्थिति में सबसे बड़ा नुकसान रुपये का होगा। पाकिस्तान का रुपया पहले ही खुले बाजार में 313 रुपये प्रति डॉलर तक गिर चुका है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत अप्रत्याशित हो जाएगी। पाकिस्तान (Pakistan) में अब भी बड़ी संख्या में लगो विदेशी मुद्रा हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। विदेश से सभी खरीद के लिए नकद की आवश्यकता होगी और कोई भी बैंक क्रेडिट खाते नहीं खोलेगा। डिफॉल्ट से पहले, श्रीलंकाई रुपया एक डॉलर के मुकाबले करीब 200 रुपये था। यह 12 अप्रैल को औपचारिक डिफ़ॉल्ट घोषणा से पहले 322 पर गिर गया और बाद में 370 से एक डॉलर तक गिर गया।
पेट्रोल, मशीनरी और दवाइयों की होगी किल्लत
यदि पाकिस्तान अपने कर्ज का भुगतान नहीं करता है, तो उसके लिए आवश्यक वस्तुओं जैसे पेट्रोलियम, मशीनरी और औषधीय उत्पादों का आयात करना बहुत मुश्किल हो जाएगा। विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार, पाकिस्तान के 80% आयात में कच्चा माल, मध्यवर्ती सामान और आवश्यक वस्तुएँ शामिल हैं। दैनिक जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की कल्पना करें जब कोई व्यक्ति किसी वस्तु का आयात करना चाहता है लेकिन बैंक अडवांस में भुगतान की मांग करता है। नकदी एक दुर्लभ वस्तु बन जाएगी।
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