Pakistan Default: पाकिस्तान के आर्थिक हालात दिन-प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं। अगर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से जल्द मदद नहीं मिली तो पाकिस्तान डिफॉल्ट भी हो सकता है। डिफॉल्ट होने की स्थिति में पाकिस्तान के पास अपने पुराने कर्जों को चुकाने के लिए पैसे नहीं बचेंगे। ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था के चरमराने का खतरा और ज्यादा बढ़ जाएगा। पाकिस्तान में विदेशी निवेश पहले ही काफी कम है। डिफॉल्ट होने की सूरत में यह लगभग खत्म ही हो जाएगा। लेकिन वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) कह रहे हैं कि देश को भीख मांगने की आदत बंद करनी होगी। उन्होंने यह मान लिया है कि देश एक चुनौतीपूर्ण स्थिति में है। पाकिस्तान के पास डॉलर नहीं बचा है और विदेशी मुद्रा भंडार बस कुछ ही दिन का बचा है। ऐसे में अब पाकिस्तान की हालत और ज्यादा खस्ता हो सकती है। देश की सबसे बड़ी ऑयल रिफाइनरी पहले ही बंद हो चुकी है। अब बाकी चीजों के आयात का क्या होगा कोई नहीं जानता है। हर कोई जानना चाहता है कि देश का भविष्य क्या होगा और आने वाले दिन कैसे होंगे। अगर पाकिस्तान कंगाल हो गया तो फिर क्या होगा।
कंगाली की तरफ दिसंबर में ही बढ़ा
दिसंबर 2022 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार पांच अरब डॉलर पर पहुंच गया था। साथ ही इसके कंगाल होने का खतरा भी बढ़ गया था। विशेषज्ञों की मानें तो लोग इस बात की संभावना से इनकार करते रहे कि देश कंगाल होने पर पहुंच गया है। सेंट्रल बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) की तरफ से फैसला लिया गया कि आयात के लिए जरूरी लेटर ऑफ क्रेडिट (LC) को इस तरह से ओपन किया जाएगा कि डॉलर के रिजर्व को लंबे समय तक के लिए बचाकर रखा जा सके। इसका मकसद यह था कि सरकार को कुछ समय मिल सके औय वह मित्र देशों की मदद हासिल कर सके। साथ ही साथ अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) से बेलआउट पैकेज हासिल करना भी था।
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इस्लामाबाद में IMF की टीम
IMF की टीम इस समय इस्लामाबाद में है। यह टीम रिव्यू को देखेगी। माना गया था कि रिव्यू सही समय पर पूरा हो जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका और अब देश पर संकट गहरा गया है। नवंबर 2022 के मध्य से लेकर जनवरी के अंत तक पाकिस्तान का संकट दिन पर दिन गहरा हुआ है। अब कई लोग समझ रहे हैं कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कंगाली की तरफ बढ़ रही है। पाकिस्तान जैसे देश के लिए वाणिज्यिक ऋणों में बड़े जोखिम के लिए डिफॉल्ट होने या कंगाल होने मतलब वाणिज्यिक ऋण के खिलाफ चूक करना है।
जीरो प्रोडक्शन और खस्ता हालत
अगर पाकिस्तान का मुद्राभंडार गिरता है तो फिर सेंट्रल बैंक पेमेंट नहीं कर पाएंगे। इसकी वजह से मूडीज और एस एंड पी जैसी एजेंसियां देश की रेटिेंग गिरा देंगी। साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान पर किसी को भरोसा नहीं रहेगा और वह अपनी विश्वसनीयता गंवा देगा। पाकिस्तान पर इतना ज्यादा कर्ज है कि उसके पास डॉलर का भंडार कम हो गया है। ऐसे में वह सिर्फ उतना ही सामान आयात कर सकता है जितना की निर्यात। यह देश विदेशों में बसे उन पाकिस्तानियों पर भी निर्भर है जो डॉलर भेजते हैं। पाकिस्तान को अपना चालू खाता जीरो पर रखना होगा।
महंगाई और बेरोजगारी का ही राज
पाकिस्तानी रुपए की ताकत खत्म हो जाएगी और वह दुनिया में प्रतिष्ठा गंवा देगा। महंगाई आसमान पर होगी और जिनके पास स्थानीय मुद्रा होगी, वो भी बेकार साबित होंगे। प्रोडक्शन नहीं होने की वजह से अर्थव्यवस्था और सिमट जाएगी। कुछ लोगों के पास पैसा होगा लेकिन वो कुछ खरीद नहीं सकेंगे। ऐसे में बेरोजगारी सर्वोच्च स्तर पर होगी। साल 2022 में श्रीलंका में सही स्थिति थी। श्रीलंका ने सात अरब डॉलर के विदेशी कर्ज की अदायगी को रोक दिया था। उस पर करीब 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज हो गया था। जबकि मुद्रा भंडार 25 मिलियन डॉलर ही बचा था। पाकिस्तान के पास तीन अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार बचा है। उस पर 125 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है। दिसंबर 2022 से ही पाकिस्तान की हालत बेहद खराब हो रखी है।
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