शी जिनपिंग को भी सता रहा है ‘बगावत का डर’ सरकारी टीवी चैनल के सामने पीएम ली क्विंग सहित पूरी कैबिनेट से उठवाया हलफ

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बगावत का डर केवल पाकिस्तान के पीएम इमरान खान को ही नहीं बल्कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भी है। जिनपिंग के इस डर के कई कारण हैं। पहला यह कि सीआईए और एसआईएस ही नहीं बल्कि कजेबी के जासूस भी चीन में सेंध लगा चुके हैं। शी जिनपिंग को शक है कि ये जासूस उनके नजदीकी लोगों को किसी भी तरह फंसा कर बगावत के लिए मजबूर कर सकते हैं।</p>
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एक खास बात यह भी है कि शी जिनपिंग के नजदीकी लोगों में से एक डिप्टी सिक्योरिटी मिनिस्टर सुरक्षा मंत्री डोंग जिंगवेई अमेरिका की शरण ले चुका है। जिंगवेई अपने साथ शी जिनपिंग की ढेरों खुफिया जानकारी ले गया है। इसलिए शी जिनपिंग ने अपना मनोबल बनाए रखने के लिए अपने प्राइम मिनिस्टर ली क्विंग से लेकर पोलित ब्यूरो के सभी 25 सदस्यों को अपने प्रति वफादारी की शपथ दिलाई है।  </p>
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पोलित ब्यूरो को वफादारी का हलफ उठाने का ड्रामा सीपीसी के संग्राहलय एक्जीवीशन के दौरान हुआ। इस कार्यक्रम का सरकारी टेलीवीजन चैनलों पर प्रसारण भी किया गया। यह इस रणनीति के तहत था कि चीन की जनता और अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों अहसास हो जाए कि सरकार में सबकुछ ठीक है। सरकार के अधिकारी चीन और शी जिनपिंग के प्रति वफादार हैं।</p>
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माओत्सेतुंग के बाद शी चीन के सबसे ताकतवर नेता बनकर उभरे हैं। माओ ने 1921मे करीब 9करोड़ सदस्यों वाली जिस सीपीसी की स्थापना की थी वो 1949में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के गठन के बाद से अभी तक सत्ता पर काबिज है। सीपीसी का शताब्दी समारोह का आयोजन 1जुलाई को किया जाएगा और पार्टी ने इस मौके पर सैन्य परेड समेत कई आयोजनों की योजना बनाई है।</p>
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पार्टी अपनी स्थापना का शताब्दी समारोह ऐसे वक्त मना रही है जब कोविड-19की उत्पत्ति, शिनजियांग, हांगकांग और तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों को लेकर चीन के प्रति वैश्विक विरोध बढ़ रहा है। शी (67) ने दिसंबर 2012में अपने पूर्ववर्ती हू जिनताओ से सत्ता संभाली थी और पार्टी, शक्तिशाली सेना पर अपने नेतृत्व को उन्होंने तेजी से मजबूती दी और राष्ट्रपति को 'मुख्य नेता' का ओहदा दिया और चीन में सामूहिक नेतृत्व की बात पीछे छूट गई।</p>
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प्रदर्शनी में अपने भाषण में शी ने सीपीसी के सदस्यों से पार्टी के इतिहास से शक्ति ग्रहण करने और चीन के आधुनिकीकरण और राष्ट्रीय कायाकल्प के लिए प्रयास करने का आह्वान किया। सरकारी शिन्हुआ संवाद समिति के मुताबिक, उन्होंने कहा, ''उनके लिए यह आवश्यक है कि राजनीतिक अखंडता को कायम रखने की जरूरत के बारे में वे अपनी जागरुकता को बढ़ाएं और बड़े पैमाने पर सोचें, नेतृत्व के मूल का पालन करें और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ तालमेल बनाए रखें।''</p>
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शी जिनपिंग को अपने पूर्ववर्तियों की तरह 2023में दूसरा कार्यकाल पूरा होने के बाद सेवानिवृत्त हो जाना चाहिए, लेकिन उनके आजीवन पद पर बने रहने की उम्मीद है क्योंकि शीर्ष विधायिका नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) ने 2018में संविधान में संशोधन कर पांच साल के दो कार्यकाल की अधिकतम सीमा को हटा दिया था, जिससे सत्ता पर उनके आजीवन कब्जे का रास्ता साफ हो गया था।</p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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