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CPEC at Risk: चीन के 62 बिलियन डॉलर पाकिस्तान में डूबने के कगार पर

CPEC at Risk: चीन के 62 बिलियन डॉलर पाकिस्तान में डूबने के कगार पर

पाकिस्तान सरकार में भ्रष्टाचार, राजनीतिक अस्थिरता और कोरोना के कारण चीन का अतिमहत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट सीपेक (CPEC at Risk) (China Pak Economic Corridor) पर संकट के बादल छा गए हैं।<a href="https://hindi.indianarrative.com/world/xi-jinpings-project-of-century-got-sunk-in-kra-canal-11950.html"><span style="color: #3366ff;"><strong> सीपेक (CPEC)</strong></span></a> पर चीन 62 बिलियन डॉलर से ज्यादा पैसों का निवेश किया है। चीन को दिखाई देने लगा है कि अब उसके 62 बिलियन डॉलर डूबने जा रहे हैं। इसीलिए चीन कभी भारत को बंदर घुड़कियां देता है तो कभी मान-मनुहार करने लगता है। लद्दाख में एलएसी पर भी तनाव का कारण सीपेक माना जा रहा है। चीन की शी जिनपिंग सरकार को यह लगने लगा है कि भारत सीपेक को बर्बाद करके चीन और पाकिस्तान दोनों को सबक सिखाना चाहता है। इसीलिए चीन ने लद्दाख में तनाव बढ़ातर भारत को समझौते के लिए विवश होने की चाल चली थी। भारत सरकार ने चीन की इस चाल को समझ लिया और चीन की आंखो में आंखे डालकर भारत की फौजें सीमा पर खड़ी हो गईं।

सीपेक पर कई अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट्स का कहना है कि चीन को सबसे ज्यादा विरोध का सामना बलूचिस्तान में करना पड़ा है। बलूच लिब्रेशन टाइगर्स के लड़ाकों ने सीपेक के कई प्रोजेक्ट्स पर हमले किए हैं। बलूचिस्तान के लगभग सभी प्रोजेक्ट्स फिलहाल बंद चल रहे हैं। ऐसा भी देखना में आया है कि बलूच लड़ाकों ने उन प्रोजेक्ट और संस्थानों को निशाना बनाया है जहां चीन का भारी-भरकम निवेश है। ग्वादर पोर्ट पर चीनी कामगारों की बसों पर हमला हो या फिर कराची में पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज पर हमले का मामला हो। बलूच लड़ाकों ने चीनी हितों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से ही हमला किया। पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज का 40 फीसदी हिस्सा चाईनीज कंसोर्टियम पाकिस्तान से खरीद चुकी है। चीन को अहसास हो गया है कि<a href="https://hindi.indianarrative.com/world/fatf-black-list-pakistans-existence-will-gone-12176.html"><strong><span style="color: #3366ff;"> पाकिस्तान अब टूटने वाला है</span> </strong></a>और उसका पैसा डूबने वाला है।

वाशिंगटन के विल्सन सेंटर में एशिया प्रोग्राम के एक अधिकारी मिशेल कुजलमैन का कहना है कि कराची स्ट़ॉक् एक्सचेंज पर हमले से बीजिंग बुरी तरह हिल चुका है। बीजिंग ने अपनी चिंताओं से इस्लामाबाद को अवगत कराया है। हालांकि, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बलूचिस्तानियों के सामने एक चाल चली है। इस चाल के तहत कहा गया है कि क्षेत्र के विकास के लिए पाकिस्तान सरकार अलग से फण्ड्स आवंटित करेगी। लेकिन सवाल यह उठता है कि जिस सरकार के पास अपने रोजमर्रा के खर्च उठाने के लिए भी पैसे न हों वो किसी राज्य में विकास कार्यों के लिए पैसा कहां से लाएगी।

पाकिस्तान की इमरान सरकार ने सीपेक के पहले चरण के विकास कार्यों के तहत <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/cpec-pakistans-bloody-economic-corridor-becomes-a-noose-14937.html"><strong><span style="color: #3366ff;">कराची से पेशावर</span></strong></a> तक रेल लाइन बिछाने के लिए लगभग 3 बिलियन डॉलर का कर्जा फिर चीन की शी जिनपिंग सरकार से मांगा है। चीन ने पाकिस्तान की इस नई मांग पर कोई रुख साफ नहीं किया। अलबत्ता यह कहा है कि अगर पाकिस्तान सरकार को कर्जा चाहिए तो ब्याज की दरें एक फीसदी से ज्यादा रहेंगी और पाकिस्तान को पहले पुराना कर्जा चुकाना होगा। इमरान सरकार ने 1 फीसदी ब्याज देने में असर्थता जताई है। इसलिए अग्रिम लोन का मामला खटाई में जाता दिखाई दे रहा है।.