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कुलभूषण जाधव की किस्मत पाकिस्तानी अदालतों के हाथों में

कुलभूषण जाधव की किस्मत पाकिस्तानी अदालतों के हाथों में

पाकिस्तान ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि वह इस्लामाबाद हाईकोर्ट (आईएचसी) में सुनी जा रही समीक्षा और पुनर्विचार मामले में कुलभूषण जाधव का प्रतिनिधित्व करने के लिए विदेशी वकील रखने की भारत की मांग को स्वीकार नहीं करेगा और जाधव की किस्मत पाकिस्तानी अदालतों के हाथों में छोड़ दिया है।

जाधव को फांसी होगी या नहीं, इस सवाल का जवाब देते हुए विदेश कार्यालय के प्रवक्ता जाहिद हफीज चौधरी ने एक साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, "अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का एक जिम्मेदार सदस्य होने के नाते पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के न्यायाधीश के फैसले के अनुपालन के अपने दायित्व का पूरी तरह से संज्ञान लेता है।"

उन्होंने कहा, "मैं यह अनुमान नहीं लगा सकता कि मामले में निर्णय क्या होगा, लेकिन मामले में प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार केवल पाकिस्तानी न्यायालयों द्वारा प्रदान किया जा सकता है।"

चौधरी ने कहा कि जाधव ने पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने की बात स्वीकार की थी। उन्होंने कहा, "जब कमांडर जाधव को पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया था, तो उन्होंने जांच के दौरान पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने की बात कबूल की।"

भारत ने आईसीजे में कमांडर जाधव को कांसुलर एक्सेस देने के मुद्दे को उठाया। अपने फैसले में आईसीजे ने वियना कन्वेंशन के तहत कमांडर जाधव को उनके अधिकारों से अवगत कराने, भारतीय कांसुलर अधिकारी के माध्यम से उन्हें कांसुलर एक्सेस प्रदान करने, उनकी कनविक्शन के संबंध में प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार प्रदान करने और एक प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार उपलब्ध कराने तक उनकी फांसी पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे।

प्रवक्ता ने कहा, "पाकिस्तान इन सभी का अनुपालन कर रहा है।"

चौधरी ने भारत पर आईसीजे के फैसले को लागू करने के पाकिस्तान के प्रयासों को विफल करने और जाधव के मामले को पाकिस्तान के खिलाफ प्रचार के उपकरण के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।

जाधव का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक भारतीय या एक विदेशी वकील उपलब्ध कराने की नई दिल्ली की मांग के बारे में बात करते हुए चौधरी ने कहा कि यह भारत को बार-बार बताया गया है कि केवल वही वकील कोर्ट में कमांडर जाधव का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं, जिनके पास पाकिस्तान में वकालत करने का लाइसेंस है।

उन्होंने कहा, यह आदेश क्षेत्राधिकार के अनुसार है। भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में यह भी फैसला सुनाया है कि विदेशी वकील देश के भीतर वकालत नहीं कर सकते हैं।

प्रवक्ता ने आईसीजे के फैसले को प्रभावी बनाने के लिए भारत सरकार को आगे आने और पाकिस्तान में न्यायालयों के साथ सहयोग करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान सरकार ही है, जिसने जाधव के मामले में इस्लामाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।.