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FATF के टेरर फंडिग और मनी-लांड्रिंग टेस्ट में पाकिस्तान फिर फेल

FATF के टेरर फंडिग और मनी-लांड्रिंग टेस्ट में पाकिस्तान फिर फेल

तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख । पाकिस्तान को एक और तारीख मिल गई। चार महीने बाद अगले साल फरवरी में उसे हिसाब देना पड़ेगा कि आतंक और आंतंकवादियों की टेरर फंडिंग को खत्म किया या नहीं। तब तक उसे फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में रहना होगा। तमाम कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान इस लिस्ट से बाहर नहीं निकल पाया। उसे भरोसा था कि चीन और अमेरिका के प्रभाव से बच जाएगा लेकिन उसे चेतावनी के साथ केवल 4 महीने की लाईफ लाइन ही मिल पाई।

आतंकवादी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखने वाली दुनिया की सबसे बड़ी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (FATF) ने शुक्रवार को पाकिस्तान को बड़ा झटका देते हुए इसे ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा। 27 में से 6 पॉइंट एक्शन प्लान को लागू करने में नाकामयाब रही इमरान सरकार से एफएटीएफ ने आतंकवाद के खिलाफ और कदम उठाने को कहा है।

लेकिन पाकिस्तान इसे अपनी जीत बता रहा है। पाकिस्तान के बयान में कहा गया है कि भारत अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में नहीं डलवा पाया है। उल्टे एफएटीएफ ने पाकिस्तान की सराहना की है और समय सीमा खत्म होने की वजह से ही फरवरी तक की मोहलत दी गई है।

पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक हुसैन हक्कानी के मुताबिक, "क्लास में कई छात्र एक बार में परीक्षा पास कर लेते हैं और कुछ को किश्तों में इम्तिहान देना पड़ता है। इमरान खान का नया पाकिस्तान किश्तों में एफएटीएफ की परीक्षा पास कर रहा है। दो साल में 27 में से 21 सब्जेक्ट पास कर पाया है। अब 6 बचे हैं। इंशाल्लाह, अगली बार।"

<img class="wp-image-15694 size-medium" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/10/The-chief-of-Pakistan-based-terrorist-group-300×222.jpg" alt="The chief of Pakistan-based terrorist group" width="300" height="222" /> पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों के सरगना

फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (एफएटीएफ) की पेरिस में हुई ऑनलाइन बैठक के बाद शुक्रवार शाम को जारी किए गए बयान में एफएटीएफ ने बताया कि पाकिस्तानी सरकार आतंकवाद के खिलाफ 27 सूत्रीय एजेंडे को पूरा करने में विफल रही है। एफएटीएफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों के खिलाफ भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।

एफएटीएफ के प्लेनरी सेशन में पाकिस्तान के बचाव के लिए तुर्की खुलकर बैटिंग करता दिखा। उसने सदस्य देशों से कहा कि हमें पाकिस्तान के अच्छे काम पर विचार करना चाहिए और 27 में से बचे हुए 6 मानदंडों को पूरा करने के लिए थोड़ा और इंतजार करना चाहिए। लेकिन, एफएटीएफ के बाकी देशों ने तुर्की के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया।

कुछ दिन पहले ही पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने तुर्की, मलेशिया और सऊदी अरब से एफएटीएफ के मामले में सहायता मांगी थी। एफएटीएफ ने कहा कि पाकिस्तान ने आज तक हमारी 27 कार्य योजनाओं में से केवल 21 को ही पूरा किया है। अब इसे पूरा करने की समय सीमा खत्म हो गई है।

पाकिस्तान के आतंकवाद से सबसे अधिक पीड़ित भारत ने शुक्रवार की बैठक से पहले ही अपना रूख तय कर दिया था और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से नामित आतंकवादियों जैसे जैश-ए-मोहम्मद चीफ मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा ऑपरेशन कमांडर जाकिर-उर-रहमान लखवी और दाऊद इब्राहिम के लिए सुरक्षित पनाहगाह बने रहने को लेकर जमकर फटकार लगाई थी। भारत की तरफ से जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ कराने के लिए पाकिस्तान की ओर से किए गए 3,800 सीजफायर उल्लंघन और ड्रोन्स के जरिए हथियार, मादक पदार्थ अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार भेजने का भी जिक्र किया गया।

भारत के मुताबिक पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के तालिबान और हक्कानी नेटवर्क (HN) के साथ मिलकर एक नई रणनीति बनाई है। जिसके तहत लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आंतकवादी संगठनों के ट्रेनिंग कैंपों को पाक-अफगान सीमा पर डूरंड रेखा के पार अफगानिस्तान में शिफ्ट कर दिया है। यह काम उसने तालिबान और अमेरिका के बीच हुए फरवरी में हुए समझौते के बाद शुरू किया था। अफगानी आतंकवादी संगठन हक्कानी नेटवर्क का सबसे बड़ा सरगना आतंकवादी सिराजुद्दीन हक्कानी है। जिसका आफगानिस्तान के नांगरहार और काबुल के आसपास के इलाकों पर नियंत्रण है। सिराजुद्दीन पर अमेरिका ने 50 लाख अमेरिकी डॉलर का ईनाम रखा है। भारत की तरफ से कहा गया कि पाकिस्तान दुनिया की आखों में धूल झोंक रहा है।

हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक पाकिस्तान की आर्मी और आईएसआई ने लश्कर और जैश को पेरिस में होने वाली एफएटीएफ की बैठक तक कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया था। इसके बावजूद दोनों संगठनों की तरफ से भारत के जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी कार्रवाइयां जारी हैं। एक तरफ जैश अपने आंतकवादियों को भारतीय सीमा में छुसपैठ करवा रहा है, वहीं दूसरी तरफ तालिबान के साथ सियालकोट-शंकरगढ़ और बिभंर-समानी सेक्टर में आतंकवादी हमलों की योजना में लगा हुआ है। इन दोनों सेक्टरों में पाकिस्तान की तरफ से हमेशा गोलाबारी होती है।

<img class="wp-image-15695 size-medium" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/10/ISI-300×225.jpg" alt="Pakistan's Inter-Services Intelligence (ISI)." width="300" height="225" /> आईएसआई ने कश्मीर में गड़बड़ी फैलाने के लिए नई रणनीति बनाई

मसूद अजहर की बीमारी की वजह से जैश-ए-मोहम्मद का काम उसका का भाई मुफ्ती राउफ असगर और उसके दूसरे रिश्तेदार संभाल रहे हैं। लश्कर-ए-तैयबा का काम इन दिनों चीफ हाफिज सईद का बेटा तल्हा और 26/11 का मुख्य आरोपी जकिर-उर-रहमान लखवी दोनों मिल कर देख रहे हैं।

पिछले साल जम्मू और कश्मीर में धारा 370 के खत्म होने के बाद पाकिस्तान इसे अंतराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश में असफल रहा। इसके बाद, आईसआई ने हरकत-उल-मुजाहिद्दीन (HuM) के चीफ मौलाना फजलुर रहमान खलील को जम्मू और कश्मीर में हमला कराने का जिम्मा दिया है। खलील रावलपिंडी में रहता है और जामिया खालिद बिन-अल के नाम से कई मदरसे चला रहा है। खलील ने पाक-अधिकृत कश्मीर में रहने वाले आंतंकवादी मौलाना मोहम्मद सज्जाद को तहरीक-ए-मिल्लत-ए-इस्लामिया (टीएमआई) का चीफ बनाया है। गौरतलब है कि यह संगठन, Hum का हिस्सा है। इन सारे काम का जिम्मा पाकिस्तानी आर्मी के एक कर्नल को दिया गया है।

जानकारों के मुताबिक पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने कश्मीर में गड़बड़ी फैलाने के लिए नई रणनीति बनाई है। प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदिन और तालिबान के साथ कई बैठकों में यह फैसला लिया है कि सभी मिलकर जम्मू और कश्मीर में हमले करेंगे। केवल कश्मीरी आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दिन इन हमलों की जिम्मेदारी लेगा। जिससे दुनिया को लगे कि कश्मीर जो कुछ भी हो रहा है वो अंदरुनी मामला है, पाकिस्तान का इसमें कोई हाथ नहीं। लेकिन पाकिस्तान की चाल कामयाब नहीं हो रही है। संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की इस साल 27 मई की रिपोर्ट के मुताबिक, "लश्कर और जैश दोनों ही संगठन पूरी तरह सक्रिय हैं और अफगानिस्तान के नूरिस्तान, नांगरहार, और कुनार में तालिबान के संरक्षण में इनके कैंप चल रहे हैं।"

जानकारों के मुताबिक पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया है। इसके बजाय कश्मीर और अफगानिस्तान में आतंकवादी घटनाओं में काफी तेजी आई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक जैश-ए-मोहम्मद अपने प्रकाशनों, पोस्टरों और इश्तहारों के जरिए फंड इकट्ठा कर रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के अनुसार, "सबको पता है कि पाकिस्तान आतंकी संगठनों और आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराता है। मसूद अजहर, दाऊद इब्राहिम, जाकिर-उर-रहमान लखवी आदि जैसे कई आतंकियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है।"

एफएटीएफ ने एक बार फिर पाकिस्तान को एक और मोहलत देते हुए ग्रे लिस्ट में रखने का फैसला किया है। पाकिस्तान एक बार फिर वही नाटक दोहराएगा। न जाने कितनी बार हाफिज सईद गिरफ्तार हो कर रिहा किया जा चुका है।.