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कौन है एक करोड़ का इनामी माओवादी किशन दा? पत्नी शीला समेत सरायकेला से गिरफ्तार

कौन है एक करोड़ का इनामी माओवादी किशन दा?

झारखंड के सरायकेला- खरसावां की पुलिस ने एक करोड़ का इनामी नक्सली प्रशांत बोस उर्फ किशन दा उर्फ मनीष उर्फ बुढ़ा को गिरफ्तार कर लिया है। उनके साथ उनकी पत्नी शीला मरांडी के साथ गिरफ्तार किया है। प्रशांत बोस माओवादियों के ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो का सचिव भी हैं। वहीं प्रशांत बोस की पत्नी शीला मरांडी भी माओवादियों की शीर्ष सेंट्रल कमेटी की सदस्य है। वह माओवादियों के फ्रंटल आर्गेनाइजेशन नारी मुक्ति संघ की प्रमुख भी है।

जानकारी के अनुसार, पश्चिम बंगाल के 24 परगना स्थित जादवपुर निवासी एक करोड़ का इनामी नक्सली प्रशांत बोस उर्फ किशन दा उर्फ मनीष उर्फ बुढ़ा अपनी पत्नी के साथ गुरुवार की रात एक घर में ठहरे थे। इसकी जानकारी पुलिस को लग गयी। गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस को चांडिल व कांड्रा के बीच एक घर से दोनों को गिरफ्तार करने में सफलता मिली है। प्रशांत बोस काफी बुजुर्ग हो चुके हैं।

कौन है किशन दा?

झारखंड पुलिस ने प्रशांत बोस पर एक करोड़ का ईनाम रखा है। प्रशांत बोस पर झारखंड में 70 से अधिक माओवादी कांड दर्ज है। झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश एवं महाराष्ट्र में हिंसा का तांडव मचा चुके प्रशांत बोस को दबोचने की मुहिम में पुलिस, CRPF एवं NIA के आला अधिकारी से लेकर जवान तक लगे हुए थे। प्रशांत बोस पर बिहार को छोड़ सभी राज्यों में उन पर इनाम घोषित है। किशन दा ने असीम मंडल उर्फ आकाश को कोल्हान समेत पश्चिम बंगाल और ओड़िशा में संगठन मजबूत करने की जिम्मेवारी सौंपी थी। पुलिस के समक्ष सरेंडर करने के बाद नक्सली एरिया कमांडर व 25 लाख का इनामी कान्हू मुंडा ने पुलिस को बताया था कि किशन दा माओवादी संगठन के सेंट्रल कमेटी के उप महासचिव हैं।

पूछताछ में पुलिस को जानकारी मिली है कि प्रशांत बोस की तबीयत बीते कई सालों से खराब थी। लेकिन बावजूद इसके वह लगातार संगठन में सक्रिय था। जानकारी के मुताबिक, कोल्हान से पारसनाथ जाकर वह रह रहा था। पारसनाथ से ही वह प्रोटेक्शन दस्ता के सदस्यों के द्वारा एनएच 2 तक लाया जाता था। इसके बाद कुरियर के द्वारा ही प्रशांत बोस को कोलकाता ले जाया जाता था। हाल ही में प्रशांत बोस कोलकाता से लौटा था। ढाई साल पहले 80 साल के प्रशांत बोस को पक्षाघात  का अटैक हुआ था। वे चलने-फिरने में बिल्कुल असमर्थ। जिसके कारण पश्चिम सिंहभूम एवं ओड़िशा में फैले सारंडा जंगल के 'आजाद क्षेत्र' में उन्हें ले जाया गया, ताकि सुरक्षित रखा जा सके।

पारसनाथ से सारंडा तक प्रशांत बोस को माओवादी कैडर कई नाम से जानते हैं। संगठन में उन्हें किशन दा उर्फ मनीष उर्फ बूढ़ा का नाम मिला है। इससे पूर्व पारसनाथ की पहाड़ियों में रह कर देश के कई हिस्सों में नक्सली घटना को अंजाम देने वाले माओवादी प्रशांत बोस अब शारीरिक तौर पर इतने अक्षम हो चुके हैं कि खुद चल नहीं सकते।