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ISRO की बड़ी कामयाबी, Aditya-L1 ने चौथी बार सफलतापूर्वक कक्षा परिवर्तन की प्रक्रिया पूरी की।

ISRO ने दी बड़ी जानकारी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के जरिए कहा, ‘‘चौथी बार पृथ्वी की कक्षा परिवर्तन की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक निष्पादित कर लिया है। मॉरीशस, बेंगलुरु, एसडीएससी-एसएचएआर और पोर्ट ब्लेयर में इसरो के ‘ग्राउंड स्टेशनों’ ने इस अभियान के दौरान उपग्रह की निगरानी की।’’

भारतीय स्पेस एजेंसी ने 2 सितंबर को सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य एल1 लॉन्च किया। Aditya L1  ने शुक्रवार तड़के चौथी बार सफलतापूर्वक पृथ्वी की एक कक्षा से अन्य कक्षा में प्रवेश किया। ISRO ने आदित्य एल1 को लेकर यह जानकारी दी।

अंतरिक्ष एजेंसी से ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘चौथी बार पृथ्वी की कक्षा परिवर्तन की प्रक्रिया (ईबीएन-4) को सफलतापूर्वक निष्पादित किया गया। मॉरीशस, बेंगलुरु, एसडीएससी-एसएचएआर और पोर्ट ब्लेयर में इसरो के ‘ग्राउंड स्टेशनों’ ने इस अभियान के दौरान उपग्रह की निगरानी की।”

आदित्य एल1 की वर्तमान कक्षा 256 किलोमीटर x 121973 किलोमीटर है। ISRO ने कहा, ‘‘कक्षा परिवर्तन की अगली प्रक्रिया ‘ट्रांस-लैग्रेजियन पॉइंट 1 इंसर्शन’ (टीएल1आई) -19 सितंबर को देर रात लगभग दो बजे निर्धारित है।” Aditya L1 पहली भारतीय अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी के पहले लैग्रेंजियन बिंदु (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा से सूर्य का अध्ययन करने वाली है। पृथ्वी की कक्षा परिवर्तन की पहली, दूसरी और तीसरी प्रक्रिया क्रमशः तीन, पांच और 10 सितंबर को सफलतापूर्वक की गई थी।

आदित्य-एल1 अगले सम्मिलन की कक्षा में प्रवेश की प्रक्रिया से गुजरेगा

पृथ्वी के चारों ओर आदित्य-एल1 की 16-दिवसीय यात्रा के दौरान यह प्रक्रिया की जा रही है, जिसके दौरान आदित्य-एल1 अपनी आगे की यात्रा के लिए आवश्यक गति प्राप्त करेगा। पृथ्वी से जुड़े कक्षा परिवर्तन की चार प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद आदित्य-एल1 अगले ट्रांस-लैग्रेंजियन1 सम्मिलन की कक्षा में प्रवेश की प्रक्रिया से गुजरेगा, जो एल1 लैग्रेंज बिंदु के आसपास गंतव्य के लिए अपने लगभग 110-दिवसीय प्रक्षेप पथ की शुरुआत करेगा।

L1 सूर्य और पृथ्वी के बीच एक संतुलित गुरुत्वाकर्षण स्थान

एल1 पृथ्वी और सूर्य के बीच एक संतुलित गुरुत्वाकर्षण स्थान है। उपग्रह अपना पूरा मिशन जीवन पृथ्वी और सूर्य को जोड़ने वाली रेखा के लगभग लंबवत समतल में अनियमित आकार की कक्षा में एल1 के चारों ओर परिक्रमा करते हुए बिताने वाला है।

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