आज हम शर्मिंदा हैं। हर हिंदुस्तानी शर्मिंदा होगा। तमिलनाडू के उन चंद मुसलमानों की इस हरकत को देखकर जिन्होंने काबा शरीफ में बद्दुआएं मांगी! उस प्रदेश के मुसलमानों ने काबा में बद्दुआएं मांगीं जहां महान वैज्ञानिक, भारत के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम एपीजे अब्दुल कलाम ने जन्म लिया।
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि भारत के लोग विदेश में स्थित किसी पूजा स्थल-इबादतगाह में जाकर क्या करेंगे? अपने देश-सरकार, घरवालों और दोस्त-नजदीकियों की सलामती की दुआएं करेंगे। ईश्वर से प्रार्थना करेंगे कि सब को सद्बद्धि दे। समाज का देश का कल्याण करे। सनातन धर्म में तो विश्व के कल्याण की कामना उद्घोष होता है। मगर इस्लाम संप्रदाय के भारतीय मुसलमान मक्का-मदीना जाकर आरएसएस का नाश हो, बीजेपी का नाश हो ऐसी दुआएँ काबा के सामने मांग सकते हैं, क्या मोदी की बर्बादी की कामना कर सकते हैं?
एक बार क्या सौ बार भी सोचें तो लगता है कि हिंदुस्तानी वो चाहे मुसलमान हो या हिंदू, देश का हो विदेशी पूजा स्थल वो सरकार ही नहीं वो किसी भी दल, संगठन या व्यक्ति की बर्बादी की दुआएँ तो कभी नहीं कर सकता, लेकिन ऐसा हुआ है। तमिलनाडू से कुछ भारतीय मुसलमान मक्का-मदीना गए। तमिलनाडू के मुसलमानों के इस समूह ने धार्मिक अनुष्ठान में हिस्सा लिया और काबा की सात प्रदक्षिणा के बाद जब तरक्की-बहवूदी और सलामती की दुआएं मांगने का मौका आया तो ये लोग आरएसएस की बर्बादी, बीजेपी की बर्बादी की दुआंएं मांग रहे थे। ये लोग कह रहे कि हमें बीजेपी और आरएसएस से मुक्ति दिलाओ। बीजेपी सत्ता में दोबारा न आए।
(काबा में तमिल के मुसलमानों की बद्दुआ- इस वीडियो के 17 मिनट 36 सेकेंड्स से देखें)
तमिलनाडू में न बीजेपी की सरकार है और न आरएसएस का मुख्यालय। फिर ये लोग ऐसी बद्दुआ क्यों मांग सकते हैं। आरएसएस को कुछ भी कहा जाए लेकिन वो हमेशा वसुधैव कुटुम्बकम की बात करते हैं। वो सभी धर्म-संप्रदायों में एकता की बात करते हैं। संघ प्रमुख कहते हैं कि सभी भारतीयों का डीएनए एक है। कुछ सनातनी भारतीयों ने किसी कारण संप्रदाय भले ही बदल लिया हो लेकिन हम सभी एक ही हैं। जो संगठन सबकी भलाई के लिए काम करता हो, सब की भलाई की कामना करता हो उसकी बर्बादी के लिए काबा में बद्दुआ मांगी जा रही है। कितने बड़े दुर्भाग्य की बात है।
जरा सोचिए, तमिल मुसलमानों की इस बद्दुआ को यदि किसी विदेशी ने सुना-जाना और समझा होगा उसने क्या धारणा बनाई होगी। उसने सोचा होगा कि ये कैसे हिंदुस्तानी हैं जो अपने ही लोगों की बर्बादी की बद्दुआएं मांग रहे हैं। विदेशों में, खास कर सऊदी अरब में भारतीय मुसलमानों को हिंदू, हिंदवी या हिंदुस्तानी की शक्ल में पहचाना जाता है। हज-उमराह करने वालों को कहा जाता है कि हिंदू-मुसलमान हैं। यानी वो मुसलमान जो हिंदुस्तान से आए हैं और पहले हिंदू थे।
देश में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे लोगों का प्रदेश कहलाता है तमिलनाडू! उसी केरल के कुछ भारतीय मक्का में अपने ही लोगों की बर्बादी की दुआएँ मांगते हैं- धिक्कार है ऐसे लोगों पर। तमिलनाडू के इन मुसलमानों की हरकतों पर हर भारतीय शर्मिदा है।