अमेरिका और नाटो का कहना है कि जो कई भी रूस की मदद करेगा वो उसे बर्बाद कर देगा। इस बीच भारत को भी जमकर धमकियां मिली। रूस के खिलाफ कुछ न बोलने से लेकर यूएन में हुए उसके खिलाफ मतदान में भारत ने खुद को अलग कर लिया। इसके साथ ही रूसी तेल खरिदारी पर भी अमेरिका ने जमकर धमकियां दी लेकिन, भारत ने इसका ऐसा जवाब दिया कि, अमेरिका की सिट्टी-पिट्टी गुल हो गई। इस तरह से बात नहीं बनी तो अब भारत को अमेरिका भड़काने पर लगा हुआ है। अमेरिका का कहना है कि, भारत रूस पर निर्भर न रहे। इसके साथ ही पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने तो यह तक कह दिया था कि, जो दुनिया यूक्रेन को लेकर फैसला करेगी भारत को भी अंत में वही करना होगा।
अब अमेरिका के टॉप अधिकारियों ने एक बार फिर कहा है कि हम चाहते हैं कि भारत रूस पर निर्भर नहीं रहे। पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा है कि हम भारत के साथ-साथ अन्य देशों के साथ बहुत स्पष्ट हैं कि हम उन्हें रक्षा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर नहीं देखना चाहते हैं। हम इसके बारे में ईमानदारी से इसका विरोध करते हैं। इसके आगे उन्होंने कहा कि, हम भारत के साथ रक्षा साझेदारी को भी महत्व देते हैं। हम इसे आगे बढ़ाने के तरीके देख रहे हैं। भारत इस क्षेत्र में सुरक्षा का प्रदाता है और हम इसे महत्व देते हैं।
इसके साथ ही US विदेश विभाग के काउंसलर डेरेक चॉकेट ने भी कहा है कि, बाइडन प्रशासन भारत के साथ काम करने के लिए बहुत उत्सुक है क्योंकि, यह अपनी रक्षा क्षमताओं और रक्षा आपूर्तिकर्ताओं में विविधता लाता है। वहीं, अमेरिकी उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमेन ने कहा है कि अमेरिका भारत के साथ रूसी हथियारों पर अपनी पारंपरिक निर्भरता को कम करने में मदद करने के लिए काम करेगा। शेरमेन ने कहा है कि भारत चीन को लेकर बहुत चिंतित हैं। भारत इस बात को समझ रहा है कि उनकी सेना जो रूसी हथियारों पर बनी थी अब शायद उन रूसी हथियारों के साथ कोई भविष्य नहीं है। हम भारत के साथ एक बढ़ते, महत्वपूर्ण और परिणामी लोकतंत्र के रूप में उनका समर्थन करने के लिए काम करने जा रहे हैं।