वैसाख और ज्येष्ठ के महीनों में इंडिया के उत्तर और उत्तर पश्चिम इलाकों में तेज आंधी-पानी से दुर्घटनाएं होना आम बात है। बड़े-बड़े दरख्त उखड़ जाते हैं। पहाड़ों पर कहीं-कहीं भारी भू-स्खलन होता है। रास्ते बंद हो जाते हैं। कच्चे मकान गिरने-दीवार ढहने की खबरें आम होती हैं। इन आंधी-तूफानों में किसी धार्मिक स्थल को शायद ही कोई नुकसान होता है, लेकिन जब भी कभी ऐसा होता है तो माना जाता है कि संप्रदाय विशेष पर आपत्ति आने वाली है। वैसे भी मुस्लिमों में यह चर्चा का विषय है कि जब-जब दिल्ली की जामा मस्जिद की मीनारों के पत्थर गिरे हैं तब-तब कोई न कोई अनहोनी हुई है।
दिल्ली जामा मस्जिद का गुम्बद का गिरना मामूली घटना नहीं
दिल्ली के एक जाने-माने एक ज्योतिषाचार्य ने दावा किया है कि सोमवार की शाम एनसीआर में आए आंधी तूफान के दौरान दिल्ली की जामा मस्जिद का गुंबद गिरना ‘इस्लाम’के लिए खतरे का संकेत है। संवेदनशील मुद्दा होने के नाते ज्योतिषाचार्य ने अपने नाम का खुलासा न करने की शर्त पर बताया है कि दिल्ली की जामा मस्जिद का गुंबद गिरना भारत-पाकिस्तान बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल के अलावा इंडोनेशिया या मलेशिया यानी मुस्लिम जगत में किसी बड़े नेता के आकस्मिक निधन, भारी रक्तपात और उपद्रव की ओर इशारा कर रहा है।
आसमानी या जमीनी आफत से बचने के लिए दरुद और आयतुल कुर्सी पढ़ें मुसलमान
इस भविष्यवक्ता-ज्योतिषाचार्य का कहना है कि मुसलमानों को किसी भी आसमानी या जमीनी आफत से बचने के लिए दरुद और आयतुल कुर्सी पढ़ना चाहिए। लाल किताब के मुताबिक मुसलमानों को दूसरे लोगों खासकर गैरमुस्लिमों की दुआएं हासिल करनी चाहिए। दिल्ली की जामा मस्जिद का गुंबद गिरना सामान्य घटना नहीं है। दिल्ली में कहीं जलजला नहीं आया किसी और इमारत को नुकसान नहीं हुआ।
500 साल पुरानी कुतुब मीनार जस की तस, जामा मस्जिद का गुंबद ही क्यों टूटा
कुतुब मीनार जामा मस्जिद से पुरानी और ऊंची इमारत है। मगर कुतुब मीनार को कुछ नुकसान नहीं हुआ, केवल जामा मस्जिद का मेन गुम्बद ही आंधी में क्यों गिरा? यह एक गंभीर सवाल है। दिल्ली की जामा मस्जिद सन् 1650 से 1656 के बीत बनी थी जबकि कुतुबमीनार पांच सौ साल पहले यानी 1192 से 1368 तक बनाई गई थी। कुतुबमीनार जस की तस है।
लुटियंस में हुआ है बहुत नुकसान, सैकड़ों पेड़ जड़ से उखड़े, कई जगह लगा जाम
बहरहाल, सोमवार की शाम दिल्ली में 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आंधी-तूफान आने और भारी बारिश के कारण दो लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हो गए। शहर में कई पेड़ उखड़ गए, सड़क और हवाई यातायात बाधित हुआ और ऐतिहासिक जामा मस्जिद समेत कई इमारतों तथा वाहनों को नुकसान पहुंचा है। पुलिस और दमकल विभाग के पास बचाव के सैकड़ों फोन आए जबकि लोगों को लुटियंस दिल्ली, आईटीओ, कश्मीरी गेट, एमबी रोड और राजघाट समेत कई इलाकों में जलभराव और पेड़ उखड़ने के कारण भारी यातायात संबंधी जाम का सामना करना पड़ा। देर रात तक दिल्ली-एनसीआरके कई इलाकों में जाम के हलात बने रहे।
300 किलो वजन है गुंबद के कलश का, दुबारा लगाना मुश्किल काम है
दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने से कहा कि मस्जिद की मीनारों और अन्य हिस्सों से पत्थर टूटकर गिरने से दो लोग घायल हो गए। मुख्य गुंबद का कलश नीचे गिर गया। कलश का वजन लगभग 300 किलो है। यहां गौरतलब है कि जब-जब जामा मस्जिद के पत्थर टूट कर गिरने की घटनाएं हुई हैं तब-तब इस्लाम को नुकसान हुआ है। पत्थर गिरने और इस्लाम को नुकसान पहुंचने की सही तस्दीक शाही इमाम ही सकते हैं। हालांकि, मुस्लिम संप्रदाय के कई वरिष्ठ लोगों का कहना है कि दिल्ली के जामा मस्जिद के गुंबद का कलश गिरना या मीनारों के पत्थर टूट कर गिरना सामान्य घटना है। यह किसी भी पुरानी इमारत के साथ हो सकता है। जामा मस्जिद काफी पुरानी हो चुकी है, इसकी मरम्मत और देख-रेख ठीक ढंग से की जानी चाहिए। मुसलमानों को किसी भी अफवाह या अंधविश्वास में फंसने की जरूरत नहीं है।