तालिबान को अफगानिस्तान पर कब्जा किए एक साल हो गया। तालिबान पिछले साल 15अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा कर फिर से सत्ता में वापसी की। लेकिन, तालिबान के साथ ही उसका क्रूर कानून भी लौटा। महिलाओं की आजादी पर तालिबान को काफी हद तक रोक लगा दी। इन सब के बीच तालिबान के आने के बाद से देश में मानवीय संकट गहरा गया है। भारी मात्रा में लोग मुल्क छोड़कर चले गए। इस बीच जब तालिबान ने कब्जा किया था तो अफगानिस्तान में भारत के प्रोजेक्ट रूक गए थे। जिसे लेकर अब तालिबान ने भारत से गुहार लगाई है कि वो इन्हें फिर से शुरू करे।
अफगानिस्तान में भारत की ओर से कई विकास परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। तालिबान ने भारत से अपील की है कि वो अफगानिस्तान में अपनी रुकी हुई विकास परियोजनाओं को पूरा करे। एक रिपोर्ट की माने तो, अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल काहर बाल्की ने कहा है कि, हमें आशा है कि हम डिप्लोमैटिक मिशन को बढ़ाते हुए मानवता के नजरिये से विकास के नजरिये की ओर आगे बढ़ेंगे। इस क्षेत्र में हमारी प्राथमिकता यह है कि हम भारत को यह संदेश दें कि पहले कदम के तौर पर वह अफगानिस्तान में अपने कुछ अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा करे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बाल्की ने कहा है कि काबुल में स्थित शहतूत बांध भी ऐसा ही एक प्रोजेक्ट है, जिसे भारत की ओर से बनाया जा रहा था। अब तालिबान चाहता है कि इस बांध के निर्माण का कार्य जल्द पूरा हो। इसके अलावा भी अफगानिस्तान में कई ऐसी भारतीय परियोजनाएं हैं, जो अब तक पूरी नहीं हो पाई हैं। इसके साथ ही तालिबान सरकार के विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि, वह काबुल में भारत की राजनयिक मौजूदगी का स्वागत करता है और साथ ही राजधानी काबुल में भारतीय मिशन की सुरक्षा सुनिश्चित करने का वादा भी करता है।
तालिबान ने एक वक्तव्य जारी कर कहा कि अफगानिस्तान में भारत की राजनयिक मौजूदगी के परिणामस्वरूप भारत की ओर से शुरू की गई अधूरी परियोजनाओं को पूरा किया जाएगा और नयी परियोजनाओं की शुरुआत की जाएगी। बता दें कि, जून में ही भारत ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अपने दूतावास में एक तकनीकी टीम को तौनात करके काबुल में अपनी राजनयिक मौजूदगी को फिर से स्थापित किया था।