US Bomber Redeployment in South Korea: उत्तर कोरिया की मिसाइल वाली भूख खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। शुक्रवार को ही किम जोंग उन ने एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का टेस्ट कर पूरी दुनिया में खलबली मचा थी दी। खासकर अमेरिका में क्योंकि, इस मिसाइल की रेंज अमेरिका तक है। इसके बाद अब अमेरिका ने उत्तर कोरिया को जबाव देते हुए दक्षिण कोरिया के साथ एक संयुक्त हवाई अभ्यास किया। इसमें अमेरिका ने बी-1बी स्ट्रैटेजिक बॉम्बर को कोरियाई प्रायद्वीप (US Bomber Redeployment in South Korea) में दोबारा तैनात किया। उत्तर कोरिया के इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च के ठीक एक दिन बाद अमेरिका ने ये कदम उठाया है। सियोल की सेना ने इसकी जानकारी दी है। दक्षिण कोरियाई जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ ने एक बयान में कहा कि दक्षिण कोरिया और अमेरिका ने कोरियाई प्रायद्वीप (US Bomber Redeployment in South Korea) पर दोबारा तैनात अमेरिकी वायु सेना के बी-1बी स्ट्रैटेजिक बॉम्बर के साथ आज संयुक्त हवाई अभ्यास किया।
यह भी पढ़ें- Kim Jong ने अपनी बेटी को दिखाई अमेरिका की तबाही! पहली बार आई दुनिया के सामने
हाई-टेक फाइटर जेट्स के साथ अमेरिका ने किया अभ्यास
यह भी बताया गया कि, इसमें अमेरिकी और दक्षिण कोरियाई वायु सेना के कुछ बेहद एडवांस फाइटर जेट्स ने भी हिस्सा लिया, जैसे- एफ-35 स्टील्थ फाइटर। जानकारों का कहना है कि, उत्तर कोरिया अमेरिका-दक्षिण कोरिया के संयुक्त हवाई अभ्यासों को लेकर बेहद संवेदनशील है। वायु सेना उत्तर कोरिया का सबसे कमजोर सैन्य पहलू है। उसके पास न ही हाई-टेक फाइटर जेट्स हैं और ना ट्रेंड पायलट्स। वहीं, बी-1बी बॉम्बर परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम नहीं है। अमेरिकी वायु सेना इसे ‘अमेरिका की बॉम्बर फोर्स की बैकबोन’ करार देती है जो दुनिया के किसी भी कोने में हमला कर सकती है। उत्तर कोरिया को जवाब देते हुए अमेरिका ये कदम उठाया है।
यह भी पढ़ें- Satan-2 के टेस्ट से थर-थर कांपी दुनिया! सिर्फ 6 मिनट में पूरा Britain हो जाएगा खाक
किम जोंग की परमाणु हमला करने की चेतावनी
बता दें कि, किम जोंग उन ने अमेरिकी खतरों का जवाब देने के लिए परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की चेतावनी दी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, उनक का कहना है कि, अगर दुश्मन धमकियां देना जारी रखते हैं, तो हमारी पार्टी और सरकार परमाणु हथियारों के साथ जवाबी कार्रवाई करेगी। शुक्रवार को लॉन्च की गई मिसाइल जापान से करीब 200 किमी दूर समुद्र में गिरी।