फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव के डॉक्टरों ने एक दुर्लभ और जटिल सर्जरी की, जिसमें एक जाम्बिया दुर्घटना पीड़ित के क्षतिग्रस्त मूत्रवाहिनी के इलाज के लिए रोबोटिक-सहायता प्राप्त तकनीक का उपयोग किया गया ।
अस्पताल ने इसका खुलासा करते हुए कहा कि टीम ने दा विंची रोबोटिक-असिस्टेड तकनीक के जरिए मूत्रवाहिनी की दुर्लभ रीडो सर्जरी की। यह 37 वर्षीय रोगी के क्षतिग्रस्त मूत्रमार्ग के इलाज के लिए किया गया था। उसे एक सड़क दुर्घटना में एक प्रमुख पेल्विक फ्रैक्चर और उसके महत्वपूर्ण अंगों को गंभीर क्षति हुई थी।
ऑपरेशन तीन घंटे तक चला और इसके बाद मरीज़ को चार दिनों के बाद छुट्टी दे दी गई।
जिस समय रोगी को फोर्टिस में भर्ती किया गया था, उस समय वह पेट के माध्यम से मूत्राशय में डाले गए कैथेटर पर था और वह अपने आप पेशाब करने में असमर्थ था। यह और भी जटिल इसलिए था, क्योंकि मूत्रमार्ग में संकुचन; मूत्र रिसाव और स्तंभन दोष था।
जाम्बिया में वह दो बार इलाज की एक प्रक्रिया से गुज़रा, लेकिन इससे कोई फ़ायदा नहीं हुआ।
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव में यूरोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट के कार्यकारी निदेशक डॉ. (प्रो.) अनिल मंधानी ने कहा कि एक सड़क दुर्घटना में मरीज़ की श्रोणि में फ्रैक्चर हो गया था और उसे पेल्विक फ्रैक्चर यूरेथ्रल डिस्ट्रैक्शन दोष का पता चला था। यह प्रोस्टेट के पास व्यवधान के कारण होता है, जो मूत्रमार्ग ट्यूब के दोनों सिरों को एक दूसरे से दूर ले जाता है।
बाधित सिरों को जोड़ना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है और इसलिए डॉक्टरों ने एक ऐसी प्रक्रिया का उपयोग करने का निर्णय लिया, जिसमें एक पतले कैमरे के साथ-साथ रोबोट की सहायता से फिर से अंजाम दिया, जिससे उन्हें मूत्राशय के अंदर देखने की अनुमति मिली। इससे ऑपरेशन आसान हो गया, जिससे डॉक्टर उन क्षेत्रों तक पहुंच सके, जहां पहुंचना मुश्किल है। रोबोट-एडेड सर्जरी साइट का 10 गुना आवर्धन प्रदान करता है।
दिलचस्प बात यह है कि इस तरह के मामले में पहली बार रोबोट की मदद से सर्जरी की जा रही है।