केंद्र सरकार समाज के वंचित वर्गों, विशेष रूप से आदिवासियों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।इसका एक सुबूत सरकार द्वारा आदिवासियों के स्वास्थ्य प्रोफाइल का एक डेटाबेस बनाने के निर्णय के रूप में दिखता है है। देश भर की जनजातियों को शामिल करने वाली यह जानकारी समग्र चिकित्सा सुविधायें प्रदान करने में मदद करेगी और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि 2047 तक सिकल सेल एनीमिया को ख़त्म करने में इससे मदद मिलेगी।
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह सहित पहाड़ी और वन क्षेत्रों में रहने वाली जनजातीय आबादी के स्वास्थ्य के बारे में विवरण प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा पहली बार एक डेटाबेस का निर्माण किया जा रहा है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन की वेबसाइट पर उपलब्ध एम. मोहन कुमार, विनीत कुमार पाठक और मनीषा रुइकर द्वारा “भारत में जनजातीय आबादी: एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती और भविष्य की राह” नामक एक अध्ययन के अनुसार: “आदिवासी आबादी बीमारी के तिगुने बोझ से ग्रस्त है; वास्तव में यह चौगुनी है, अर्थात्, संचारी रोग, ग़ैर-संचारी रोग, कुपोषण, मानसिक स्वास्थ्य और ख़राब स्वास्थ्य चाहने वाले व्यवहार से जटिल व्यसन जैसे बीमारियां हैं।”
मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा: “जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने देश के विभिन्न दूरस्थ वन क्षेत्रों में रहने वाले 7 करोड़ से अधिक आदिवासियों का एक ऐसा मेगा डेटाबेस बनाने पर काम करना शुरू कर दिया है, जिससे उन्हें स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों से मुक्ति मिलेगी और मुफ्त समग्र स्वास्थ्य देखभाल सुविधायें उपलब्ध हो सकेंगी।”
यह डेटाबेस एक और उपयोगी उद्देश्य को पूरा करेगा। यह भारत के सभी महत्वपूर्ण अस्पतालों से जुड़ा होगा, जिससे डॉक्टर और स्वास्थ्य देखभाल करने वाले देश में कहीं भी पहुंच सकेंगे।
इस डेटाबेस में उन आदिवासियों के प्रोफाइल शामिल होंगे. जिनमें सिकल सेल एनीमिया का निदान किया गया है। यह बीमारी विरासत में मिली हुई होती है। यह एनीमिया का एक गंभीर रूप है, जिसमें रोगियों में उत्परिवर्तित लाल रक्त कोशिकाएं होती हैं, जो वर्धमान या सिकल के आकार की होती हैं। यह एक गंभीर बीमारी है,जो रक्त वाहिकाओं के अवरोध सहित आजीवन स्वास्थ्य स्थिति का कारण बनती है।
ऊपर वर्णित अध्ययन में जनजातीय क्षेत्रों से संबंधित विशेष समस्याओं का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें मलेरिया को नियंत्रित करना, योजक पदार्थों का उपयोग, कुपोषण को कम करना, बाल मृत्यु दर को कम करना, महिलाओं के लिए सुरक्षित मातृत्व और स्वास्थ्य सुनिश्चित करना, पशुओं के काटने और दुर्घटनाओं का समय पर उपचार, और स्वास्थ्य साक्षरता आदि शामिल हैं।
मंत्री ने संवाददाताओं को यह भी बताया कि अपनी तरह के पहले क़दम के तहत जनजातीय लोगों, विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों का मानव विकास सूचकांक तैयार किया जायेगा। इससे उनके लिए व्यापक विकास योजना तैयार करने में मदद मिलेगी।