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PM Modi का शाही स्वागत, America की मजबूरी या बड़ी चाल?

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका (America) की यात्रा के लिए रवाना हो गए है , दूसरी तरफ अमेरिका में उनके आने के स्वागत के लिए तैयारियां हो रही है। बाइडेन प्रशासन ने शाही तैयारियां शुरू कर दी है। आज प्रंधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए डिनर का ख़ास आयोजन रखा गया है। भारतीय प्रधानमंत्री अमेरिकी संसद को भी संबोधित करेंगे। अमेरिका (America) का कहना है कि हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के साथ दोस्‍ताना रिश्‍तों को मजबूत कर रहे हैं, वहीं कई विशेषज्ञ ऐसे हैं जो इस दलील से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि अमेरिका भारत का इस्‍तेमाल चीन के साथ अपने रिश्‍तों को संतुलित करने के लिए करने कर रहा है। साथ ही बाइडन सरकार की कोशिश यह भी है कि रूस के सबसे बड़े हथियारों के खरीदार भारत को मास्‍को से दूर किया जा सके।

दुनिया में अकेला पड़ा America

अंतरराष्‍ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ डॉक्‍टर रहीस सिंह एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में कहते हैं कि अमेरिका के दोस्‍त देश अब उसको छोड़कर भाग रहे हैं। अमेरिका का कोई स्‍टैंड ही नहीं है। आज अमेरिका के पीछे कोई खड़ा नहीं है। सऊदी अरब अमेरिका के साथ नहीं है। सऊदी अरब ने चीन की मदद से ईरान के साथ समझौता कर लिया है। ईरान चीन के साथ है। इजरायल के विदेश मंत्री चीन गए हैं। जर्मनी भी चीन के साथ जा चुका है। फ्रांस के राष्‍ट्रपति हाल ही में चीन की यात्रा पर गए थे। आज अमेरिका अकेला पड़ गया है और उसके साथ कोई खड़ा नहीं है। उन्‍होंने कहा कि इसकी वजह यह है कि क्‍या अमेरिका वास्‍तव में अपनी बात पर कायम है या नहीं। अमेरिका ने अफगानिस्‍तान में आतंकवाद के खिलाफ युद्ध किया और बाद में उसी तालिबानियों को सत्‍ता सौंप दी। ऐसे में अमेरिका पर कौन भरोसा करेगा।

अमेरिका ने यह चीन के लिए लूपहोल दे दिया

डॉक्‍टर रहीस सिंह ने कहा कि अमेरिका ने पहले इजरायल का साथ दिया लेकिन बाद में आप सऊदी अरब और अरब देशों के साथ चले गए। लेकिन अब अरब जगत में भी आप नहीं है। इन देशों को लगता है कि अमेरिका किसी एक नीति पर कायम ही नहीं है। राष्‍ट्रपति बदलने पर अमेरिका की विदेश नीति बदल जाती है। अमेरिका ने हिंद प्रशांत क्षेत्र में पहले क्‍वॉड बनाया जिसमें जापान और भारत भी थे लेकिन अब ऑस्‍ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ मिलकर ऑकस सैन्‍य समझौता कर लिया। इसमें भारत और जापान नहीं हैं। इन दोनों देशों को बाहर करके अमेरिका हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन से कौन सी लड़ाई लड़ रहा है। अमेरिका ने यह चीन के लिए लूपहोल दे दिया।

भारत का कर रहा है इस्तेमाल

डॉक्‍टर सिंह ने बताया कि इस तरह देखें तो अमेरिका के साथ कोई भी देश खड़ा नहीं है। अमेरिका की यह मजबूरी है कि वह भारत का हाथ पकड़े और यह दिखाए कि दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्‍यवस्‍था उसके साथ खड़ी है। अमेरिका अपनी ऐसी छवि दुनिया में बनाना चाह रहा है।

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