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सेंट पीटर्सबर्ग फ़ोरम और इससे रूस के अलगाव का मिथक

सेंट पीटर्सबर्ग फ़ोरम में संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख़ मोहम्मद बिन ज़ायद अल नाहयान के साथ रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (फ़ोटो: @vicktop55/Twitter)

अदिति भादुड़ी  

20 जून को अटलांटिक काउंसिल ने नतालिया पोपोविच की एक पोस्ट प्रकाशित की थी, जिसका शीर्षक था- “पश्चिमी कंपनियां अब भी यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को वित्तपोषित कर रही हैं।” कीव स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स के आंकड़ों का हवाला देते हुए इस लेख में बताया गया है कि “…पूर्ण पैमाने पर आक्रमण की शुरुआत में रूसी सहायक कंपनियों वाली 1,361 पश्चिमी कंपनियों में से केवल 241 (17%) पूरी तरह से रूस से बाहर निकल गयी हैं। शेष पश्चिमी कंपनियों ने 2022 के दौरान 136 बिलियन डॉलर का राजस्व अर्जित किया है, इस प्रकार क्रेमलिन को यूक्रेन में युद्ध के वित्तपोषण में मदद मिली।

अभी कुछ ही दिन पहले रूस का प्रमुख सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फ़ोरम 14 से 17 जून तक हुआ था। जबकि पश्चिमी देश आधिकारिक तौर पर 2022 से ही इस फ़ोरम का बहिष्कार कर रहे हैं, जिस वर्ष रूस ने यूक्रेन में अपना “विशेष सैन्य अभियान” शुरू किया था, रूस ब्रीफिंग के अनुसार, कम से कम 150 कंपनियां,जिनमें 25 ‘अमित्रवत’ देश हैं,जिन्होंने रूस पर प्रतिबंध लगायें हैं, इस फ़ोरम में भाग लिया। अकेले अमेरिका से कम से कम 27 लोगों ने भाग लिया। इस वर्ष इस फ़ोरम का विषय था “न्यायसंगत विश्व के आधार के रूप में संप्रभु विकास: भावी पीढ़ियों के लिए एकजुट होना।”

आयोजकों, रोसकांग्रेस ने कहा कि लगभग ₽4 ट्रिलियन (USD 47.6 बिलियन) मूल्य के लगभग 900 निवेश समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। रूसी और विदेशी व्यवसायों के बीच 43 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जिनमें इटली और स्पेन की कंपनियों से जुड़े सौदे भी शामिल हैं।

इस वर्ष अतिथि देश संयुक्त अरब अमीरात था और इसके राष्ट्रपति मोहम्मद बिन ज़ायद अल नाहयान ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ इस फ़ोरम में भाग लिया। 200 मज़बूत प्रतिनिधिमंडल के साथ यूएई का इस फ़ोरम में सबसे बड़ा प्रतिनिधित्व था। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व स्वयं एक अन्य उच्च पदस्थ अधिकारी – रास अल खैमा के शासक शेख़ सऊद बिन सकर अल कासिमी ने किया। ग़ौरतलब है कि यूएई अमेरिका का क़रीबी सहयोगी है।

बताया जाता है कि इस फ़ोरम से इतर पुतिन के साथ अपनी मुलाक़ात के दौरान अल नाहयान ने कहा था कि वह ”…इस रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहते हैं और हम ऐसा करने के लिए आप पर भरोसा करते हैं।” सीरियाई गृहयुद्ध के बाद से यूएई और रूस के बीच संबंध तेज़ी से गहरे हो रहे हैं, जब इस क्षेत्र से अमेरिकी प्रभाव कम होने के बीच रूसी बलों ने सीरियाई सरकार को इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएल) को कमज़ोर करने और नष्ट करने में मदद की थी। इसमें आर्थिक संबंधों का गहरा होना भी शामिल है। इस साल फ़रवरी में रूसी उद्योग और व्यापार मंत्री डेनिस मंटुरोव ने कहा था कि रूस और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच व्यापार कारोबार 2022 में 68% बढ़ गया है और 9 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है। यूएई ने रूस-यूक्रेन युद्धबंदियों की अदला-बदली की भी सुविधा दी थी।

रूस ने भी अरब जगत के साथ संबंधों को मज़बूत करने पर नये सिरे से ध्यान देना शुरू कर दिया है।

SPIEF 23 में अरब जगत से एक अन्य उच्च स्तरीय आगंतुक पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ अल्ज़ीरिया के राष्ट्रपति अब्देलमदजीद तेब्बौने थे, जिन्होंने इस फ़ोरम के लिए सेंट पीटर्सबर्ग जाने से पहले मॉस्को में पुतिन के साथ एक शिखर बैठक की थी। इसके अलावा, इस फ़ोरम में भाग लेने वाले इस क्षेत्र के अन्य बड़े देशों में सऊदी अरब जैसे देश भी शामिल थे।

रोसकॉन्ग्रेस के अनुसार, सेंट पीटर्सबर्ग आने वाले अन्य उच्च-स्तरीय आगंतुकों में आर्मेनिया गणराज्य और दक्षिण ओसेशिया के राष्ट्रपति, क्यूबा गणराज्य के प्रधानमंत्री और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और संघों के प्रमुखों, विदेश मंत्रियों सहित 150 से अधिक शीर्ष अधिकारी सहित राजनयिक मिशनों के प्रमुख भी शामिल थे।

संयुक्त अरब अमीरात के बाद 147 सदस्यों वाला सबसे बड़ा प्रतिनिधिमंडल चीन से आया  था, भारत – 58, म्यांमार – 50, क्यूबा – 39, और संयुक्त राज्य अमेरिका – 27 सदस्य थे। जबकि कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायेव, जिन्होंने पिछले साल इस फ़ोरम में भाग लिया था, इस वर्ष शामिल नहीं हुए, फिर भी रूस के सबसे क़रीबी सीआईएस सहयोगियों में से एक और मॉस्को के नेतृत्व वाले यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (ईईयू) के सदस्य कजाकिस्तान ने 40 सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल भेजा।   कुल मिलाकर मध्य एशिया के साथ रूस का व्यापार वॉल्यूम 2022 में 41 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है,यानी इसमें 20% की वृद्धि हुआ है, तो कजाकिस्तान उन सीआईएस सदस्य राज्यों में से एक रहा है, जिन्हें प्रतिबंध शासन से काफी लाभ हुआ है।

SPIEF 2023 में भाग लेने वाला एक अन्य क्षेत्र आसियान था, जिसके साथ रूस कम से कम एक दशक से संबंध बना रहा है, हालांकि यूक्रेन युद्ध के बाद यह अधिक तेज़ी से फोकस में आया है।

उपरोक्त के अलावा, निश्चित रूप से उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, अन्य सीआईएस देशों, तुर्की, इज़राइल, यूरोपीय देशों, लैटिन अमेरिका और अफ़्रीका के प्रतिनिधियों ने भी इस फ़ोरम में भाग लिया।

इस बीच रूस की संघीय सीमा शुल्क सेवा के कार्यवाहक प्रमुख रुस्लान डेविडोव ने इस फ़ोरम के मौक़े पर स्पुतनिक के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि भारत, चीन, तुर्की और अजरबैजान ने रूस के विदेशी व्यापार में यूरोपीय संघ की जगह ले ली है।

यह सब रूस के तथाकथित अलगाव के संदर्भ में क्या इंगित करता है ? यह तभी सच होगा, जब पश्चिम को दुनिया का हिसाब देना होगा। फिर भी, न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे पश्चिमी समाचार आउटलेट अन्यथा लिखना जारी रखते हैं। फिर भी अधिकांश विश्व, और विशेष रूप से पश्चिमी विश्व, दूर रह रहा है। इस बीच, डॉलर का मूल्यह्रास हो रहा है, जबकि प्रतिबंध लागू होने के बाद से रूबल में वास्तव में वृद्धि हुई है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का भी मानना है कि 2023 में रूस की अर्थव्यवस्था 0.7 प्रतिशत बढ़ सकती है। दूसरी ओर, जर्मनी पहले ही आधिकारिक तौर पर घोषणा कर चुका है कि वह मंदी में प्रवेश कर चुका है। पिछले सप्ताह फ़ोर्ब्स ने बताया कि यूरोप की मुद्रास्फीति दर ब्राजील, चीन, भारत और सऊदी अरब की तुलना में अधिक थी; वे सभी देश जो रूस के साथ व्यापार करना जारी रखते हैं।

सेंट पीटर्सबर्ग इस फ़ोरम में प्रमुख विषयों में से एक डी-डॉलरीकरण था। जहां ब्रिक्स देश एक साझा मुद्रा पर विचार कर रहे हैं, वहीं अरब प्रतिनिधियों ने एक साझा अरब मुद्रा पर चर्चा की। हालांकि, यह सब रातोरात नहीं होगा, लेकिन यह कल्पना करना दूर की कौड़ी नहीं है कि यह डॉलर के हथियारीकरण के साथ हो सकता है। लब्बोलुआब यही है कि रूस अलग-थलग नहीं है। यूएई के राजनयिक सलाहकार अनवर गर्गश ने सीएनएन के साथ एक साक्षात्कार में कहा है कि ध्रुवीकृत दुनिया में रूस के साथ उलझना “एक परिकलित जोखिम” था। यह एक ऐसा जोखिम है, जिसे बड़ी संख्या में देश उठाने को तैयार हैं। भारत ने रूस के साथ अपने जुड़ाव और व्यापार को जारी रखने में चतुराई का प्रदर्शन किया है।