विदेश मंत्री एस जयशंकर अपनी बेबाक़ी के लिए जाने जाते हैं। इस बार विदेश मंत्री ने ड्रैगन को खूब सुनाया है,उन्होंने कहा कि ताली एक हाथ से नहीं बजती, रिश्ते में गिरावत के लिए चीन खुद जिम्मेदार है। विदेश मंत्री ने पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन के साथ संबंधों को लेकर दो टूक राय रखी।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान पड़ोसी देशों को खूब लतारा। उन्होंने सन 1947 में PoK को छोड़ने को लेकर भारत की गलती का भी जिक्र किया। बता दें कि एस जयशंकर पहले भी यूरोपीय देशों के साथ-साथ दुनिया के अन्य देशों को लेकर भारत के रुख को साफ तौर पर सामने रख चुके हैं।
कार्यक्रम के दौरान विदेश मंत्री ने कहा कि इससे हमें क्या हासिल होगा या अगला कदम क्या उठाए जाएंगे,ये बाद की बात है। पहले सबके सामने हमें अपनी बातों को स्पष्ट तौर पर रखने की जरूरत है। इस संदर्भ में जयशंकर ने भारत के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव पर क्या रुख है उसका उदाहरण दिया।
भारत ने चीन के BRI का विरोध किया था
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि हमने चीन के BRI यानी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था। उन्होंने आगे कहा कि चीन औऱ पाकिस्तान के आर्थिक गलियारे को लेकर हमारा रुख कड़ा था। साथ ही उन्होंने कहा कि उस दौरान देश में कई वर्ग ऐसे थे जिन्होंने हमारे इस क़दम पर सवाल उठाया था। ये अगल बात है कि आज वो इन बातों से इनकार करें,लेकिन ये तमाम बातें रिकॉर्ड में दर्ज है। उन्होंने आगे कहा कि हम कहां सही हैं,कहां हमारे हित की बातें हो रही है इस बारे में स्पष्टता रखनी होगी, जो पिछले 75 सालों में ऐसी गड़बड़ी देखी गई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ तौर पर कहा कि मौजूदा वक्त में बुनियादी गलतियों को ठीक कर लिया गया है जो सन 1947 में हुई थी।उन्होंने कहा कि ये वहीं गलती थी जिसे सुधारने के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जीवन भर पुरजोर लड़ाई लड़ी। विदेश मंत्री ने कहा कि 1947 में PoK को छोड़कर हमने दो विरोधी देशों के बीच निकटता को विकसित होने का मौका दे दिया,जिसकी कीमत आज हमें चुकानी पड़ रही है।
चीन से संबंधों में गिरावट के लिए भारत नहीं है जिम्मेदार।
विदेश मंत्री ने पड़ोसी देश चीन के साथ संबंधों को लेकर भी भारत का रुख स्पष्ट किया किया। उन्होंने कहा कि चीन के साथ संबंधों में गिरावट आना हमारी देन नहीं। इसके लिए चीन पूरी तरह जिम्मेदार है, क्योंकि चीन की तरफ से ही 1993 और 1996 के समझौते का उल्लंघन किया जा रहा है,जिससे यह स्थिति पैदा हुई है। उन्होंने कहा कि यदि बात का ध्यान रखना होगा कि दो प्रमुख देशों के संबंध तभी काम करते हैं जब वे पारस्परिक हित, आपसी संवेदनशीलता और पारस्परिक सम्मान पर आधारित होते हैं।
वहीं,विदेश मंत्री से जब पूछा गया कि क्या दोनों देशों के बीच संबंध अच्छे हो सकते हैं तो उन्होंने कहा, ” ताली बजाने के लिए दो हाथों की जरूरत होती है और चीन को भी व्यावहारिक रिश्ते में विश्वास होना चाहिए। इसके लिए चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी LAC पर 1993 और 1996 में हुए समझौतों का पालन करना होगा।