ओडिशा ट्रैन (Odisha Train) हादसा भारत के इतिहास में एक ऐसा हादसा दर्ज हो गया है। जिसे सोच कर भी रूह काँप जाती है। ट्रेन हादसे (Odisha Train) की जांच में कई खामियां सामने आई हैं और सीधे तौर पर स्टेशन मास्टर की गलती पता चली है। बाहानगा बाजार स्टेशन पर 2 जून को तीन ट्रेनों के क्रैश होने से 292 लोगों की मौत हो गई थी और 1000 से ज्यादा यात्री घायल हुए थे।
कमिश्नर (रेलवे सुरक्षा) की इस रिपोर्ट के मुताबिक अगर बाहानगा बाजार के स्टेशन मास्टर ने कर्मचारियों को दो समानांतर पटरियों को जोड़ने वाले स्विचों के बार-बार असामान्य व्यवहार की सूचना दी होती, तो हादसे को टाला जा सकता था। उस रोज कोरोमंडल एक्सप्रेस गलती से लूपलाइन पर आकर एक मालगाड़ी से टकरा गई थी। रिपोर्ट में सिग्नल के फेल होने और टेलिकॉम (S&T) डिपार्टमेंट की कई खामियों की तरफ इशारा किया गया है। यह रिपोर्ट रेल मंत्री और रेलवे बोर्ड को सौंप दी गई है।
रेलवे की जांच में हुआ खुलासा
रेलवे (Odisha Train) की जांच में सामने आया है, ‘सिग्नलिंग में खामियों के बावजूद… क्रॉसओवर 17 A/B पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग गड़बड़ी का पता लगाया जा सकता था।’ क्रॉसओवर 17 ए/बी वह पॉइंट है जिससे होकर कोरोमंडल एक्सप्रेस चेन्नई न जाकर लूपलाइन पर चली गई।
स्टेशन मास्टर की गलती
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टेटस बदलने के लिए स्टेशन मास्टर एसबी मोहंती के सिग्नल स्विच-ऑन करने के बाद, ऐसा होने में 14 सेकेंड लगने चाहिए थे। लेकिन सिग्नल तुरंत बदल गया जो असामान्य था। रिपोर्ट के मुताबिक स्टेशन मास्टर को इस पर गौर करना चाहिए था कि सिग्नल में अचानक बदलाव इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम की खामी थी क्योंकि ट्रैक की ग्राउंड पोजीशन तत्काल नहीं बदल सकती है।
असामान्य बदलाव पर स्टेशन मास्टर को ध्यान देना चाहिए था
रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि इस असामान्य बदलाव पर स्टेशन मास्टर को ध्यान देना चाहिए था क्योंकि उन्हें इस काम में लगने वाले समय के बारे में जानकारी होती है। अगर वह तत्परता दिखाते तो इस असामान्य चीज को पकड़ सकते थे और कोरोमंडल एक्सप्रेस को आगे बढ़ने से रोक सकते थे।
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