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दुनिया का एक ऐसा गांव जहां रहती हैं सिर्फ महिलाएं!

केन्या के उमोजा गांव में रहती हैं सिर्फ़ महिलाएं

एक गांव जो महिलाओं का ,महिलाओं के लिए,और महिलाओं के द्वारा चलाया जाता है। यह हक़ीक़त है इस गांव में पुरुषों के लिए नो एंट्री है। यहां तक की अगर किसी औरत के बेटे की उम्र 18 साल हो जाता है तो उसे भी गांव से निकाल दिया जाता है।

इस गांव की जीवनशैली बिल्कुल अन्य गांवों की तरह सामान्य है। यहां की महिलाएं गांव के बच्चों के लिए खाना और शैक्षिक संसाधन जुटाने के लिए काम करती हैं। पुरुषों के लिए तो मानो यहां नो एंट्री का बोर्ड लगा है।

उत्तरी केन्या के सैमबुर काउंटी का उमोजा गांव जिसे “A Place For Women,By Women” कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं । यह एक ऐसा गांव है जहां सिर्फ महिलाएं रहती हैं,उन्हीं के द्वारा गांव की विधि व्यवस्था चलाई जाती है। हालांकि यह गांव आदिवासी बस्तियों के जैसा ही दिखता है, बस एक फर्क़ है कि यहां पुरुष नहीं हैं।

उमोजा को केन्याई भाषा में एकता के लिए इस्तेमाल किया जाता है,जिसका कॉन्सेप्ट इस समुदाय के मूल में है। दरअसल, 1990 में लिंग आधारित हिंसा से बचकर भागने वाली औरतों के लिए एक सुरक्षा कैंप लगाए गए थे,जो आज एक गांव का रूप ले लिया और वो भी पुरुष विहीन गांव के रूप में ।इसलिए इस गांव में आज सभी उम्र की औरतें ही रहती हैं और उनका ही घर है।

1990 की लिंग आधारित घटना के बाद से ही लड़कियों और महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने के लिए इस गांव में किसी भी पुरुष का एंट्री बैन है। उमोजा गांव में ऐसी कई महिलाएं रहती हैं जो यौन हिंसा और दुर्व्यवहार का शिकार हुई हैं। साथ ऐसी महिलाओं में से ज्यादातर को उनके परिवार वालों ने छोड़ दिया है या वो बाल विवाह या महिलाओं के खतने से बचकर भागी हुई हैं।

50 परिवार वाला गांव है उमोजा

एक फोटो जर्नलिस्ट निंसन ने केन्या के इस गांव में जाने का फैसला किया,हालांकि यहां तक पहुंचने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। लेकिन वहां जाकर निंसन ने पाया कि इस गांव में 50 परिवार है। हालांकि सटीक संख्या घटती-बढती रहती है। लेकिन जो सबसे बड़ी बात है कि इस गांव की सभी महिलाएं आत्मनिर्भर हैं,लिहाजा कह सकते हैं कि यह आत्मनिर्भर गांव है।

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हिंसा से पीड़ित महिलाएं करती हैं दूसरों को जागरूक

यहां के लोग औरतों के अधिकारों और लिंग आधारित हिंसा को लेकर गांव की अन्य महिलाओं को शिक्षित करती हैं। महिलाओं के किसी भी पुरुष बच्चों को 18 वर्ष की उम्र तक गांव में रहने की छूट है,लेकिन 18 पार कर लेने पर पुरुष बच्चे को गांव से निकाल दिया जाता है।