Delhi स्थित निगमबोध घाट का पौराणिक महत्व काफी ज्यादा है। दिल्ली के सबसे पुराने श्मशान घाट की रोचक कहानी है। हालांकि यह घाट कितना पुराना है इसका कोई ठोस सबूत नहीं है। मान्यता है कि पौराणिक काल में भगवान विष्णु के आशीर्वाद के बाद इस घाट का निर्माण हुआ, और जब ब्रह्मा धरती पर आए तो इसी घाट पर उन्होंने स्नान किया था।
पिछले दिनों यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से Delhi में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई थी। बाढ़ का पानी कई रिहायशी इलाकों प्रवेश कर गया था। बाढ में सबसे ज्यादा नुकसान निगमबोध घाट का हुआ। यह राजधानी दिल्ली का सबसे पुराने श्मशान घाटों में से एक है। यमुना नदी के किनारे, लालकिले के ठीक पीछे स्थित निगमबोध घाट पर यमुना नदी तक जाने के लिए सीढियां भी है। साथ ही इस घाट पर 1950 के दशक में इलेक्ट्रिक शवदाह और औऱ साल 2000 में सीएनजी से चलने वाला शव दाह केन्द्र भी है।
निगमबोध घाट के निर्माण से जुड़ी हुई कोई लिखित साक्ष्य नहीं है,ऐसी मान्यता है कि इस घाट का निर्माण हिन्दू देवताओं ने करवाया था।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक निगमबोध श्मशान के महत्व पर लेखिका और इतिहासकार स्वप्ना लिडल का कहना है कि यह घाट पौराणिक काल से चला आ रहा है। ऐसा माना जाता है कि इंद्र ने यहां यज्ञ किए। साथ ही ये भी मान्यता है कि महाभारत काल में जब ब्रह्मा धरती पर आए तो उन्होंने इसी घाट पर स्नान किया था।
भगवान विष्णु के आशीर्वाद स्वरूप बना निगमबोध
लेखिका लिडन ने निगमबोध घाट को लेकर आगे कहा कि यह घाट बेहद पवित्र स्थान माना जाता है।और यहां के लोगों में लंबे समय से यह विश्वास भी कायम है कि यह बहुत पवित्र जगह है। लिडल ने अपनी पुस्तक चांदनी चौक: द मुगल सिटी ऑफ ओल्ड डेल्ही में इसका जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है ‘उस काल के फारसी इतिहास में जो बात नहीं मिलती, वो दिल्ली में देखने को मिलती है और वो है हिंदू मिथक और परंपरा के साथ इसका जुड़ाव।
प्राचीन परंपरा दिल्ली (Delhi)को इंद्र-प्रस्थ से जोड़ती है, वह पवित्र स्थान जहां देवताओं के राजा इंद्र ने यज्ञ किए थे और विष्णु की पूजा की थी। यमुना के तट पर स्थित इस स्थान को तब विष्णु ने आशीर्वाद दिया था, जिन्होंने इसे ‘निगमबोधक’ कहा था जहां वेदों का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता था।
वेदों का ज्ञान कराती हो वही ‘निगमबोध’
निगमबोध का शाब्दिक अर्थ है, ‘ऐसी जगह जो वेदों का ज्ञान कराती हो’। ऐसी मान्यता है कि यहां यमुना में डुबकी लगाने से मनोकामना की पूर्ति होती है।लिडन ने किताब में लिखा है, ‘इस तरह, दिल्ली में और निगमबोध घाट के पास शहर का पता लगाकर, शाहजहां आध्यात्मिक और लौकिक शक्ति की मजबूत परंपराओं का लाभ उठा रहा था, जिससे जनता इस स्थल से जुड़ी हुई थी।’
बाढ़ से निगमबोध घाट को काफी नुकसान
पिछले दिनों आई बाढ़ से निगमबोध घाट को काफी नुकसान पहुंचा। यहां साल 2003 से काम कर रहे अवधेश शर्मी ने बताया कि 13 जुलाई को यमुना में आई बाढ़ से घाट डूब गया। हमारा कार्यालय, एम्बुलेंस और सभी लकड़ी और अन्य उपकरण बह गए।