पहले सिर्फ कयास लगाएं जा रहे थे कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (putin) जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने भारत नहीं आ रहे हैं। लेकिन पुतिन के कार्यालय क्रेमलिन ने इस बात की पुष्टि कर दी है,उनकी जगह पर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव रूस का प्रतिनिधित्व करेंगे। इससे पहले दक्षिण अफ्रीका में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी पुतिन प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं हुए। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्मेलन को संबोधित किया था। पहले संभावना जताई जा रही थी कि पुतिन जी-20 में हिस्सा लेने भारत की यात्रा कर सकते हैं, क्योंकि उनके पहले से तय शेड्यूल में इसी को लेकर बदलाव किया गया था। अब सवाल उठ रहा है कि आखिर पुतिन ने एन वक्त पर भारत आने से इनकार क्यों कर दिया।
रूस ने क्या बोला?
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि पुतिन का व्यस्त कार्यक्रम है और उनका मुख्य ध्यान यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान पर है। इसलिए, सीधी यात्रा अभी एजेंडे में नहीं है। उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए दक्षिण अफ्रीका की यात्रा भी नहीं की है। पुतिन अभी भी वर्चुअली भाग ले सकते हैं, लेकिन मॉस्को ने कहा कि इस पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। भारत ने जी-20 के सदस्यों के अलावा बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीसस, नाइजीरिया, नीदरलैंड, स्पेन, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात और सिंगापुर को भी आमंत्रित किया है।
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पुतिन भारत के खातिर नहीं आ रहे?
वैसे मन माना जा रहा है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के जी20 सम्मेलन में हिस्सा न लेने के पीछे भारत का हित छिपा हुआ है। भारत ने यूक्रेन पर आक्रमण को लेकर रूस की आलोचना नहीं की है। ऐसे में पश्चिमी देश लगातार भारत पर निशाना साधते रहे हैं। हो सकता है कि भारत को ऐसे हालात से बचाने के लिए पुतिन ने जी-20 की अपनी यात्रा टाली है। इसके अलावा जानकारों का यह भी कहना है कि हो सकता है कि जी20 शिखर सम्मेलन मे पुतिन पश्चिमी नेताओं के निशाने पर हों। पुतिन पिछले साल इंडोनेशिया के बाली में भी जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए थे।