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‘उमराव जान’ बनाने वाले Muzaffar Ali के गैर फिल्मी कला से जुड़े कार्यों का पहला शो दिल्ली में

muzaffar ali

दुनिया में न केवल फिल्मी जगत बल्कि रचनात्मक कार्यों में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले प्रसिद्ध निर्देशक मुजफ्फर अली आज किसी तरह के परिचय के मोहताज नहीं है। अभी तक आप और हम सभी ने उनको सिर्फ सिनेमा के लिए बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हुए देखा होगा लेकिन, यह पहला ऐसा मौका होगा जब आप उन्हें और भी ज्यादा गहराई से जान पायेंगे। क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आज यानी बुधवार 11 जनवरी 2023 से दिग्गज फिल्म निर्माता की पेंटिंग, कोलाज, स्केच और डिजाइन की गई वस्तुओं की उत्कृष्ट प्रदर्शनी आयोजित हो रही है।

इंडिया गेट के पास स्थित बीकानेर हाउस में मुज़फ्फर अली नामक 11 दिनों तक चलने वाले इस शो में इस बहुआयामी कलाकार के पिछले चार दशकों में गैर-फिल्मी जुड़ावों को परिभाषित करने वाले कार्यों को प्रदर्शित किया जाएगा। माशा आर्ट द्वारा प्रस्तुत इस शो में स्कॉलर उमा नायर ने जो उनकी एक साल की मेहनत का परिणाम है शो रोजाना ग्यारह दिनों तक सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक देखा जा सकता है।

1978 में गमन जिसके फारूक शेख और सविता पटेल ने मुख्य भूमिका निभाई थी और साथ मुजफ्फर के निर्देशन की शुरुआत के 3 साल बाद उमराव जान फिल्म रिलीज हुई जिसमें रेखा ने अभिनय किया था इन दोनों फिल्मों ने मुजफ्फर को बॉलीवुड में एक खास पहचान दिलाई। जिसके बाद उन्होंने साल 2015 तक तीन फिल्म और भी बनाई। बावजूद इसके कला के साथ उनका प्राथमिक जुड़ाव ब्रश और रंगों के साथ रहा है। पिछले साल कोविड-19 जब चरम पर था, तो उस दौरान उन्होंने बड़े आकार की पेंटिंग्स बनाने का निर्णय किया।

फिल्मी जगत को छोड़ पेंटिंग्स को दी प्राथमिकता

लखनऊ के एक पूर्व शाही परिवार में जन्मे मुजफ्फर का कहना है स्केच-पेन और ब्रश, क्रेयॉन और ऐक्रेलिक और ऑयल के साथ मेरा रिश्ता प्राकृतिक और वैज्ञानिक दोनों है। भूविज्ञान, वनस्पति विज्ञान और रसायन विज्ञान का मेरा धुंधला ज्ञान जो मैंने अपने स्नातक के दिनों में प्राप्त किया था, वर्णन और संप्रेषण करने का एक सूक्ष्म बौद्धिक पुल बनाता है। दिग्गज आगे कहते हैं अपने हाथों से चित्र बनाने की चाह मेरे लिए किसी जश्न मनाने से कम नहीं है।

78 वर्ष की आयु के मुजफ्फर अली सांस्कृतिक पुनरुत्थानवादी 21 लघु फिल्में बना चुके हैं उन्होंने फैशन डिजाइनिंग कैरियर के साथ-साथ विभिन्न महोत्सव में निर्णायक मंडल का नेतृत्व किया है सफलता की कहानी का यह पहलू जिसके बारे में लोग कम ही जानते हैं। पिछली आधी शताब्दी में अन्य विजुअल आर्ट के साथ आया मुजफ्फर के लगातार जोड़ा को बयान करता है।

दिग्गज कलाकार का पहला पेंटिंग शो 1970 में लगा था, जब आर्ट हिस्टोरियन गति सेन ने बॉम्बे में एक समूह प्रदर्शनी को क्यूरेट किया था। खास बात 1960 के दशक से आज तक मुजफ्फर का ब्रश और रंगों के साथ लगातार जुड़ा बना हुआ है। कोरोना काल में उन्होंने भी कल्पनाशील पेंटिंग बनाई जिसमें कुछ बड़े आकार की पेंटिंग भी है, जिन्हें आगामी प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया जा रहा है।

दिखा अनेकों पेंटिंग का जबरदस्त कलेक्शन

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इस दौरान कुछ चुनिंदा पेंटिंग के अलावा शो में मुजफ्फर द्वारा डिजाइन किए गए फर्नीचर कॉलेज और स्केच भी शामिल हैं। साथी प्रोजेक्ट डिजाइन और स्टाइल पत्नी मीरा अली द्वारा इंस्टॉलेशन के रूप में कॉलेज जाए डैशबोर्ड और कपड़े के हैंगर जैसी वस्तुएं भी प्रदर्शित की गई हैं। कैटलॉग जो एक लिमिटेड एडिशन क्लासिक है ₹3000 और छात्रों के लिए अधिक कीमत पर बिक्री के लिए उपलब्ध होगा।