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Adanai-Hindanburg: अब कई बड़े चेहरों की कलई खुल कर आ जाएगी सामने

अगर केंद्र सरकार हिंडनबर्ग-अडानी (Adanai-Hindanburg) मामले में सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति पर सहमत हो गई है तो इसका मतलब यह नहीं कि सरकार फेस सेविंग कर रही है। बल्कि जब इस समिति की रिपोर्ट आएगी तो बड़े-बड़ों का कलई खुल जाएगी। अडानी के खिलाफ तो एक तरह की कथित साजिश है, जिसमें आगे क्या होगा वो सामने आ ही जाएगा मगर कुछ ही समय बाद उन लोगों के चेहरे सामने आ जाएंगे जो हिंडनबर्ग रिपोर्ट और बीबीसी डाक्यूमेंट्री के पीछे हैं। कुछ लोग समाने आने लगे हैं। दिग्विजय सिंह कह रहे हैं 100 साल से बीबीसी पर कभी उंगली नहीं उठी। जयराम रमेश कह रहे अघोषित आपातकाल। अशोक गहलौत कह रहे हैं  सबसे विश्वसनीय मीडिया है। इन लोगों की नजर में इंडियन मीडिया अविश्वसनीय है जैसे।

बहरहाल हम बात कर रहे थे, अडाणी हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जिसके बारे में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार को भविष्य में निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक समिति नियुक्त करने पर कोई आपत्ति नहीं है और सेबी स्थिति से निपटने के लिए सक्षम है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से शुक्रवार (17 फरवरी 2023) को फिर आने और समिति बनाने के बारे में जानकारी देने को कहा है। केंद्र ने कहा कि वह नियामक तंत्र पर प्रस्तावित पैनल के लिए डोमेन विशेषज्ञों के नाम सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को देना चाहता है।

केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि शेयर बाजार के लिए नियामकीय तंत्र को मजबूत करने के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित करने प्रस्ताव को लेकर उसे कोई आपत्ति नहीं है। उच्चतम न्यायालय हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह के शेयरों में गिरावट के मामले की सुनवाई कर रहा था।

विदेशी इशारों पर भारत में मचाए जा रहे बवाल के बारे में न्यायालय को खुद कहना पड़ा है कि भारतीय मीडिया को संयम बरतना चाहिए। किसी का नाम उछालने से पहले सोच लेना चाहिए क्यों कि मीडिया की रिपोर्ट में नाम आ जाने भर से शेयर मार्केट पर भारी असर पड़ता है।