अर्थव्यवस्था

G-20 बैठकों से पर्यटन में आयी तेज़ी के साथ बनारसी साड़ी बुनकरों को मिली नई ऊर्जा

वाराणसी में प्रसिद्ध बनारसी साड़ियों की बुनाई करने वाले हज़ारों बुनकरों के लिए पर्यटकों की आमद में उछाल के साथ फिर से उम्मीद जगी है। बुनकरों में अधिकांश मुस्लिम हैं, जिन्हें उम्मीद है कि इस प्राचीन शहर में साल भर होने वाली जी-20 की कई बैठकों के बीच बनारसी साड़ी के काम की मांग बढ़ेगी

काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर परियोजना को जनता के लिए खोले जाने के बाद से पिछले एक साल में महीन कढ़ाई और हस्तकला वाली बनारसी साड़ियों की बिक्री पहले ही दोगुनी हो गयी है। कॉरिडोर से पर्यटन में उछाल आया है।

पिछले साल इस प्राचीन शहर में क़रीब 7 करोड़ पर्यटक आये थे।

अंदरूनी इलाक़ों में शहर की एक संकरी गली में स्थित क़ासिम साड़ियों केी चौथी पीढ़ी के मालिक शाहिद अंसारी ने इंडिया नैैरेटिव से कहा, “पिछले एक साल में हमारे बुनकरों, शिल्प और साड़ियों के साथ-साथ टॉप और दुपट्टे जैसे अन्य उत्पादों के बारे में जागरूकता बढ़ी है और इसलिए मांग भी बढ़ी है।” वाराणसी में कुछ बुनाई इकाइयां सौ से अधिक वर्षों से काम कर रही हैं।

कोविड महामारी के बाद से बुनकर संघर्ष करते रहे हैं। कच्चे माल की बढ़ती क़ीमतों ने उनके लिए एक गंभीर चुनौती पेश कर दी थी। इस साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बुनकर सौर ऊर्जा योजना की घोषणा की थी, जिसके तहत बुनकरों को सौर संयंत्र स्थापित करने के लिए अनुदान प्रदान किया जाता है।

इसके अलावे,बुनकरों ने पिछले साल भी सरकार से आग्रह किया था कि उनकी आय के स्तर और पेंशन को बढ़ाने के उपायों को चाक-चौबंद किया जाए।

अंसारी ने कहा, “सरकार ने काफी कुछ किया है, लेकिन हमें उम्मीद है कि यह हमें और अधिक मदद प्रदान की जाएगी, क्योंकि इस कला को जीवित रखना महत्वपूर्ण है।”

अंसारी ने कहा कि इन साड़ियों की मांग में अचानक आये उछाल के साथ कुशल बुनकरों की अब कमी हो गयी है, क्योंकि अधिकांश काम अब मशीन से होता है।

“हम उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले महीनों में यहां होने वाली G20 बैठकों के साथ बिक्री में और वृद्धि होगी। वाराणसी में अब बहुत सारी गतिविधियां चल रही हैं, जिससे  हमारे शिल्प को बढ़ावा मिलेगी।”

यूपी सरकार के ‘एक ज़िला-एक उत्पाद’ कार्यक्रम के तहत 2019 में इन वाराणसी रेशम उत्पादों का निर्यात मूल्य 216 करोड़ रुपये आंका गया था।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के रूप में वर्गीकृत बनारसी बुनाई इकाइयों का अस्तित्व यह सुनिश्चित करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है ताकि यह भारतीय परंपरा जीवित रहे।

Mahua Venkatesh

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

1 year ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

1 year ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

1 year ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

1 year ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

1 year ago