Jaishankar to visit Russia: रूस और यूक्रेन जंग (Russia and Ukraine War) जब शुरू हुआ तो अमेरिका भन्ना उठा और पूरी दुनिया को अपना फैसला सुना दिया कि, जो भी रूस का साथ देगा वो उसे बरबाद कर देगा। पाकिस्तान को इसका खामियाजा भुगतना भी पड़ा और इमरान खान की सरकार गिर गई। लेकिन, बात जब भारत पर आई तो उसने वही किया जो देशवासियों के हित में था। रूस और भारत (Russian and India) बेहद ही पुराने और अच्छे दोस्त हैं। ऐसे में भारत को काफी सतर्कता से कदम उठाना था। एक ओर अमेरिका की धमकी थी तो दूसरी ओर भारत के हर मुश्किमों में खड़ा होने वाला दोस्ता। अंत में भारत ने वही किया जो करना चाहिए था। भारत ने ना तो रूस का छोड़ा और न ही यूक्रेन का साथ दिया। जब बात तेल खरीद की आई तो भारत ने कहा कि, जो अमेरिका कर रहा है वही वो भी कर रहा है। अमेरिका चोरी-चोरी रूस से तेल खरीदता रहा लेकिन बाकि दुनिया को रूस के साथ व्यापार करने से मना करता रहा। भारत ने कहा वो देशहित के लिए कर रहा है। अमेरिका और पश्चिम ने अपनी एड़ी-चोटी की जोर लगा दी रूस और भारत को अलग करने के लिए लेकिन, ऐसा हो न सका। इस बीच अमेरिका, यूरोप और यूक्रेन में खलबली मच गई है। क्योंकि, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर रूस (Jaishankar to visit Russia) का दौरा करने वाले हैं। वो अपने रूस दौरे (Jaishankar to visit Russia) पर 8 नवंबर को रवाना होंगे। हालांकि, किन मुद्दों पर बात होगी इसपर अभी कोई बयान नहीं आया है।
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जयशंकर के रूसी दौरे पर दुनिया की नजर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर 8 नवंबर को रूस जाएंगे, जहां अपने समकक्ष सेरगे लावरोव से मुलाकात करेंगे। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने मॉस्को में कहा कि अगले महीने लावरोव की जयशंकर से मुलाकात होने वाली है। इस दौरान दोनों नेता रूस और भारत के संबंधों के अलावा इंटरनेशनल एजेंडा पर भी बात करेंगे। इस यात्रा को लेकर अब तक भारत की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। हालांकि पूरे मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि जयशंकर की यह यात्रा थोड़ी लंबी होगी। इस दौरान वह लावरोव एवं अन्य रूसी अफसरों से मुलाकात करेंगे। यह जानकारी ऐसे समय में सामने आई है, जब इस बात के कयास लग रहे थे कि दोनों देशों के बीच इस बार सालाना समिट नहीं होगी। समिट को लेकर अब तक दोनों तरफ से कुछ भी नहीं कहा गया था। कुछ महीने पहले यह बात सामने आई थी कि रूस में ही 2022 में समिट का आयोजन होना है।
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पीएम मोदी और पुतिन की भी होगी मुलाकात
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भी नवंबर में ही एक बार फिर से मुलाकात होने की संभावना जताई जा रही है। दोनों नेता सितंबर में उज्बेकिस्तान में हुई SCO समिट के दौरान मिले थे। उसके बाद एक बार फिर से इंडोनेशिया के बाली में आयोजित हो रहे जी-20 समिट में वह एक बार फिर से मिल सकते हैं। दरअसल, दुनिया चाहती है कि यूक्रेन पर हमले बंद करने के लिए भारत रोके। भारत ने हर बार शांति की ही पहल की है और पुतिन पीएम मोदी काफी अच्छे दोस्त हैं। ऐसे में दुनिया चाहती है कि रूस को अगर कोई रोक सकता है तो वो है भारत।
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