अर्थव्यवस्था

कर्नाटक के बैंकों में आयकर विभाग की छापेमारी में 1,000 करोड़ रुपये के काले धन का पता

नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय द्वारा आज दी गई जानकारी के मुताबिक़, आयकर विभाग ने कर्नाटक में सहकारी बैंकों पर छापे में 1,000 करोड़ रुपये के काले धन होने का पता लगाया है, जिसका इस्तेमाल रियल एस्टेट कंपनियों और ठेकेदारों द्वारा कर से बचने के लिए फ़र्ज़ी ख़र्च दिखाने के लिए किया जा रहा था।

31 मार्च को 16 परिसरों में तलाशी और ज़ब्ती की कार्रवाई के परिणामस्वरूप 3.3 करोड़ रुपये से अधिक की बेहिसाब नक़दी और 2 करोड़ रुपये से अधिक के बेहिसाब सोने के आभूषण ज़ब्त किये गये थे।

ये सहकारी बैंक नक़द निकासी के वास्तविक स्रोत को छिपाने के लिए बड़ी संख्या में चेकों पर छूट दे रहे थे, और व्यापारिक संस्थाओं को फ़र्ज़ी ख़र्चों को दर्ज करने में सक्षम बना रहे थे।

इसके अलावा, आधिकारिक बयान में बताया गया है कि इस कार्यप्रणाली का उपयोग करके ये व्यावसायिक संस्थायें आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों को भी दरकिनार कर रही थीं, जो अकाउंट पेयी चेक के अलावा अन्य स्वीकार्य व्यावसायिक व्यय को सीमित करता है।

तलाशी के दौरान यह भी पाया गया कि इन सहकारी बैंकों ने बिना पर्याप्त परिश्रम के नक़द जमा का उपयोग करके एफ़डीआर (सावधि जमा रसीद) खोलने की अनुमति दी, और बाद में अतिरिक्त रक़म के रूप में उसी का उपयोग करके ऋण स्वीकृत किया। बयान में कहा गया है कि तलाशी के दौरान ज़ब्त किये गये सबूतों से पता चला है कि 15 करोड़ रुपये से अधिक के बेहिसाब नक़द ऋण कुछ लोगों को दिये गये हैं।

तलाशी के दौरान यह भी पाया गया कि इन सहकारी बैंकों का प्रबंधन अपनी अचल संपत्ति और अन्य व्यवसायों के माध्यम से बेहिसाब धन पैदा करने में लिप्त है। यह बेहिसाब पैसा इन बैंकों के माध्यम से कई स्तरों पर खातों में वापस लाया गया है। इसके अलावा, बैंक निधियों को प्रबंधन के व्यक्तियों के स्वामित्व वाली विभिन्न फ़र्मों और संस्थाओं के माध्यम से उनके व्यक्तिगत उपयोग के लिए उचित परिश्रम का पालन किए बिना रूट किया गया था।

तलाशी के दौरान हार्ड कॉपी दस्तावेज़ों और सॉफ़्ट कॉपी डेटा के रूप में बड़ी मात्रा में आपत्तिजनक साक्ष्य ज़ब्त किये गये हैं। ज़ब्त किये गये सबूतों से पता चला है कि ये सहकारी बैंक विभिन्न व्यापारिक संस्थाओं द्वारा विभिन्न काल्पनिक ग़ैर-मौजूद संस्थाओं के नाम पर जारी किये गये बियरर चेकों में बड़े पैमाने पर छूट देने में शामिल थे।

इस तरह के बियरर चेक पर छूट देते समय किसी केवाईसी मानदंड का पालन नहीं किया गया था। डिस्काउंट के बाद की राशि इन सहकारी बैंकों में रखी गयी कुछ सहकारी समितियों के बैंक खातों में जमा की गयी। यह भी पता चला कि कुछ सहकारी समितियों ने बाद में अपने खातों से नक़दी में धन निकाल लिया और व्यावसायिक संस्थाओं को नक़द वापस कर दिया।

आईएन ब्यूरो

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

1 year ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

1 year ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

1 year ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

1 year ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

1 year ago