Government to bring fuel under GST: पेट्रोल-डीजल के दाम काफी समय से स्थिर हैं। पेट्रोल-डीजल को सरकार काफी लंबे समय से GST (Government to bring fuel under GST) के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है। अगर ऐसा हो जाता है तो, देश में एक बार फिर से तेल के दाम में भारी गिरावट आ सकता है। सस्ते तेल का सपना देख रही जनता का ये ड्रीम सच हो सकता है। इसपर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि, मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल और शराब को जीएसटी (Government to bring fuel under GST) के दायरे में लाने के लिए तैयार है। हालांकि, राज्य सरकार के चलते पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में नहीं आ पा रहा है।
केंद्र सरकार तैयार लेकिन, राज्य सरकार बीच में लगा रही अडंगा
केंद्र सरकार तैयार है लेकिन राज्य इसके लिए तैयार नहीं होंगे क्योंकि इस फैसले से उनको बड़ा राजस्व यानी रेवन्यू लॉस होगा। पुरी ने श्रीनगर में कहा कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए राज्यों की सहमति जरूरी है। अगर राज्य इस दिशा में पहल करते हैं तो केंद्र भी इसके लिए तैयार है। पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग लंबे समय से उठ रही है। इसके बावजूद राज्य और केंद्र सरकार के बीच इस बात पर सहमति नहीं बन रही है। पेट्रोलियम मंत्री ने इस बात की आशंका जताई कि ईंधन को जीएसटी के दायरे में लोन के लिए राज्यों के बीच इस पर सहमति बनने की संभावना कम है। जीएसी परिषद की बैठक दिसंबर महीने में होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि राज्यों के राजस्व का प्रमुख स्रोत शराब एवं पेट्रोलियम उत्पादों पर लगने वाला टैक्स ही होता है। राज्य राजस्व के मुख्य स्रोत को त्रपाने वाला आखिर उसे क्यों छोड़ना चाहेगा? सिर्फ केंद्र सरकार ही महंगाई और अन्य बातों को लेकर फिक्रमंद रहती है।
पेट्रोल-डीजल से राज्य सरकारें करती हैं बंपर कमाई
उन्होंने केरल उच्च न्यायालय के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि इस मामले को जीएसटी परिषद में उठाने का सुझाव दिया गया था लेकिन राज्यों के वित्त मंत्री इस पर तैयार नहीं हुए। उन्होंने कहा कि जहां तक जीएसटी का सवाल है तो हमारी या आपकी इच्छाएं अपनी जगह हैं, हम एक सहकारी संघीय व्यवस्था का हिस्सा हैं। बता दें कि, एक देश और एक टैक्स के सपने को पूरा करने के लिए GST को लागू किया गया था। लेकिन, पेट्रोल और डीजल पर ये लागू नहीं हो सकता। प्रत्येक राज्य इसपर अपने-अपने तरीके से टैक्स वसूलते हैं। इसी के चलते हर राज्य में ईंधन की दर अलग-अलग है। राज्य सरकारें पेट्रोल-डीजल और शराब पर टैक्स लगाकर बंपर कमाई करती हैं। इसी चलते वो इसे जीएसटी के दायरे में नहीं लाना चाहती हैं।
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