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Russia के झटके से यूरोप संग हिला चीन, IMF ने कहा- आने वाला है मंदी का दौर

IMF on Recession before G-20 summit

IMF on Recession before G-20 summit: पश्चिमी देशों की मनमानी ने आज उन्हें है मंदी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। रूस-यूक्रेन जंग में अहम भूमिका निभाने वाले अमेरिका और नाटो ने मिलकर पूरी दुनिया में मंदी का दौर ला दिया है। रूस ने जब यूक्रेन पर हमला बोला तो इसका बचाव अमेरिका-नाटो ने किया। अमेरिका-नाटो ने मिलकर रूस के खिलाफ कड़े से कड़े प्रतिबंध लगाये। लेकिन, इसका असर उलटा पश्चिम पर ही पड़ा। साथ ही चीन भी मंदी की चपेट में है। रूस के तेल और गैस के भरोसे जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका संग अन्य पश्चिमी देश अब मंदी (IMF on Recession before G-20 summit) का दौर देश रहे हैं। ब्रिटेन पहले ही इससे गुजर रहा है, जर्मनी का हाल दुनिया से छुप न सका। ग्रीस में भी बुरा हाल है। अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने जी-20 मीटिंग से ठीक पहले वैश्विक अर्थव्यवस्था (IMF on Recession before G-20 summit) को लेकर चिंता बढ़ाने वाली बात कही है। IMF का कहना है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था कमजोर होती दिख रही है।

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जंग के चलते दुनिया में खाद्यान्न की सप्लाई प्रभावित
वैश्विक संस्था (IMF on Recession before G-20 summit) ने कहा कि बीते महीने जो अनुमान था, उससे भी खराब स्थिति होती दिख रही है। आईएमएफ के मुताबिक बीते कुछ महीनों के परजेजिंग मैनेजर इंडेक्स में यह बात सामने आई है। यही नहीं IMF का कहना है कि दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं ने जो मौद्रिक नीतियां सख्त की हैं और महंगाई में तेजी हुई है, उससे ऐसे हालात बने हैं। अपने अनुमान में IMF ने बताया है कि चीन की अर्थव्यवस्था में धीमापन दिखा है और सप्लाई चेन प्रभावित हुई है। इसके अलावा रूस और यूक्रेन के युद्ध के चलते दुनिया में खाद्यान्न की सप्लाई भी प्रभावित हुई है। इसी के चलते ऐसे हालात बन रहे हैं कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी दिख रही है।

यूरोप में मंदी का दौर चालू
IMF ने बीते महीने 2023 में दुनिया की आर्थिक ग्रोथ के अनुमान को 2.9 फीसदी से घटाकर 2.7 फीसदी करने का ऐलान किया था। जी-20 लीडर्स समिट से पहले एक ब्लॉग में IMF ने कहा कि वैश्विक इकॉनमी को लेकर जो संकेत मिल रहे हैं, वे धीमेपन की बात कर रहे हैं। खासतौर पर यूरोप में मंदी की स्थिति बनी हुई है। इसका असर दुनिया के अन्य हिस्सों में भी देखने को मिलेगा। IMF की माने तो, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज एक्टिविटी कमजोर पड़ी हैं।

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यूरोप में ऊर्जा संकट ने और बढ़ा दिया महंगाई
दुनिया की बड़ी 20 अर्थव्यवस्थाओं की कमोबेश ऐसे ही स्थिति है। एक तरफ महंगाई दर में इजाफा हुआ है तो वहीं मांग और उत्पादन में भी कमी देखने को मिल रही है। IMF ने बताया कि, ग्लोबल इकॉनमी के सामने जो संकट है वो चिंता बढ़ाने वाला है। आगे का समय भी बेहद ही चुनौतीपूर्ण होने वाला है। इसके साथ ही पश्चिमी में ऊर्जा संकट ने भी ग्रोथ में कमी लाने का काम किया है और महंगाई बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। अगर महंगाई का दौर जारी रहा तो, दुनिया भर में पॉलिसी रेट में इजाफा होगा और इससे आर्थिक स्थिति कठिन हो सकती है।